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राजनांदगांव: पुलिस भर्ती में गड़बड़ी, प्रक्रिया से अलग किए गए आरक्षक ने लगाई फांसी, पूर्व सीएम बघेल ने की सीबीआई जांच की मांग… 

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आरक्षक की मौत के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की CBI जांच की मांग, पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने आरक्षक अनिल रत्नाकर की मौत पर संदेह जाहिर करते हुए कहा कि, आरक्षक के तार पुलिस भर्ती घोटाले से जुड़ा होना बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि क्या यह हत्या है या आत्महत्या? क्या इसमें कोई बड़े खिलाड़ी शामिल हैं? किसी और को बचाने के लिए किसी और की बलि ली जा रही है।

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फांसी के फंदे में लटकी मिली लाश 

ग्राम रामपुर में एक आरक्षक की लाश खेत में पेड़ से फांसी के फंदे से लटकी मिली है। यह आरक्षक राजनांदगांव रेंज में चल रही पुलिस भर्ती प्रक्रिया में ड्यूटीरत था। बीती रात आरक्षक पुलिस लाइन से निकला और सुबह उसकी लाश रामपुर के खेत में लटकी मिली। बताया जा रहा है कि आरक्षक अनिल रत्नाकर ने बीती रात को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। भर्ती के लिए खैरागढ़ पुलिस बल का जवान पिछले कई दिनों से स्थानीय 8वीं बटालियन में ड्यूटी में था। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों पुलिस भर्ती में कथित गड़बड़ी उजागर होने के बाद जवान तनाव में था। आरक्षक के खुदकुशी करने की घटना को गड़बड़ी से ही जोडक़र देखा जा रहा है। परिजनों को घटना की सूचना दे दी गई है। फारेंसिक टीम मौके पर मौजूद है। परिजनों के सामने शव को पेड़ से उतारा जाएगा। उसके बाद पोस्टमार्टम होगा।

महासमुंद का रहने वाला था आरक्षक 

जानकारी के मुताबिक आरक्षक मूलतः महासमुंद के सरायपाली का रहने वाला था। पुलिस घटना की जांच कर रही है। खैरागढ़ जिले के जालबांधा पुलिस चौकी में पदस्थ अनिल रत्नाकर की राजनांदगांव में भर्ती के लिए ड्यूटी लगाई गई थी। सूत्रों के मुताबिक जवान की भूमिका भर्ती प्रक्रिया में संदिग्ध रूप से सामने आई है। लिहाजा आला अफसरों ने आरक्षक रत्नाकर समेत लगभग डेढ़ दर्जन लोगों को संदेह के घेरे में रखा है। बहरहाल आरक्षक की लाश मिलने के बाद से पूरे विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। आरक्षक के परिवार के कई लोग पुलिस विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

कई तथ्य निकलकर आ रहे सामने 

वहीं पुलिस आरक्षक भर्ती प्रक्रिया के दौरान पाई गई गड़बड़ियों में अब कई नए तथ्य सामने आ रहे हैं। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो, जांच कर रही टीमों ने पाया कि ऐसे अभ्यर्थी जिन्होंने दौड़ में भाग ही नहीं लिया, उन्हें भी अंक दे दिए गए हैं। इसके अलावा शून्य नंबर पाने वाले अभ्यर्थियों को सात अंक दे दिए गए हैं। शुरूआती दौर की जांच में हैदराबाद की जिस टीम को जिम्मेदारी दी गई थी, उनके द्वारा अनियमितता पाए जाने की जानकारी सामने आ रही है। हालांकि इस मामले में टीम द्वारा हर बिंदुओं को ध्यान में रखते जांच आगे बढ़ाई जा रही है। हैदराबाद की कंपनी के साथ ही स्थानीय पुलिस विभाग के कर्मचारियों की संलिप्तता की जानकारी भी जुटाई जा रही है।

डेढ़ दर्जन पुलिस आरक्षक संदेह के घेरे में 

राजनांदगांव के 8वीं बटालियन में भर्ती प्रक्रिया की टेक्निकल हैदराबाद की कंपनी के कर्मचारियों के साथ-साथ लगभग 10 से 12 पुलिस आरक्षकों को भी गड़बड़ी के मामले में संदेह के दायरे में रखा गया है। आज सुबह डोंगरगांव रोड स्थित रामपुर में मुक्तिधाम के पास एक पेड़ में आरक्षक फांसी के फंदे में लटकते दिखाई दिया। पुलिस सूचना के बाद मौके पर पहुंची।

आईजी और एसपी जांच में जुटे 

सूत्रों के मुताबिक भर्ती प्रक्रिया में एक सोची- समझी साजिश के तहत कई योग्य अभ्यर्थियों की छुट्टी कर दी गई। जिसके चलते कुछ अयोग्य अभ्यर्थियों के चयन पर सवाल खड़े हो गए हैं। इस मामले को लेकर राजनांदगांव रेंज आईजी दीपक झा टेक्निकल टीम और महकमे के जवानों की भूमिका की अपनी निगरानी में जांच कर रहे हैं। आरोप है कि नेशनल गेम्स की फर्जी डिग्री से भी कई अभ्यर्थियों ने सीधा लाभ उठाया है। इसके अलावा अभ्यर्थियों के मार्क्स के साथ भी छेड़छाड़ की गई है। अंकों से हेरफेर करने का आरोप अब राजनीतिक रंग ले चुका है। कांग्रेस ने कई तरह के आरोप लगाए हैं।

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