इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट देश का सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है. यहां रोजाना दर्जनों की संख्या में प्लेन लैंड करने के साथ ही टेकऑफ करते हैं. इनमें डोमेस्टिक के साथ ही इंटरनेशनल फ्लाइट्स भी होती हैं. ऐसे में IGI एयरपोर्ट पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रहते हैं. इसके बावजूद स्मगलिंग के मामले अक्सर सामने आ जाते हैं. एक बार फिर से IGI एयरपोर्ट पर ऐसी चीज की तस्करी का मामला सामना आया है, जिसे सुनकर सुरक्षाबलों के दिमाग की भी बत्ती जल गई. कस्टम विभाग के अधिकारियों के तो होश ही उड़ गए. एयरपोर्ट ऐसा हंगामा मचा कि वन विभाग की टीम को भी इसमें शामिल करना पड़ा, ताकि मामले की तह तक जाया जा सके. तस्करी के इस हाईप्रोफाइल मामले में एक कनाडाई नागरिक को गिरफ्तार किया गया है.
जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मगरमच्छ की खोपड़ी की तस्करी के आरोप में एक विदेशी नागरिक को गिरफ्तार किया गया है. आरोप है कि कनाडाई नागरिक अपने बैग में कथित तौर पर मगरमच्छ के बच्चे की खोपड़ी ले जा रहा था. एयरपोर्ट पर आरोपी के पहुंचते ही अधिकारियों को शक हुआ तो संदिग्ध की बारीकी से जांच शुरू कर दी गई. छानबीन के दौरान आरोपी के बैग में से मगरमच्छ की खोपड़ी बरामद की गई. कस्टम डिपार्टमेंट ने गुरुवार 9 जनवरी 2025 को इसके बारे में जानकारी दी है.
टर्मिनल-3 पर पकड़ाया कनाडाई तस्कर
कस्टम डिपार्टमेंट ने बताया कि सोमवार को IGI एयरपोर्ट के टर्मिनल-3 पर एक शख्स को मांट्रियल की फ्लाइट में सवार होने से पहले ही पकड़ लिया है. टेकऑफ करने से पहले लगेज की जांच के दौरान बैग में कुछ संदिग्ध चीज होने का संदेह हुआ था. इसके बाद आरोपी के सामान की बारीकी से जांच की गई. कस्टम डिपार्टमेंट ने बताया कि तलाशी के दौरान क्रीम रंग के कपड़े में लिपटी तीखे दांतों वाली एक खोपड़ी मिली. छानबीन में पता चला कि यह मगरमच्छ के बच्चे के जबड़े के जैसा है. इसका कुल वजन करीब 777 ग्राम थी. पैसेंजर के सामान से मगरमच्छे के बच्चे की खोपड़ी मिलने से हर कोई सन्न रह गए.
कानून का गंभीर उल्लंघन
कस्टम डिपार्टमेंट ने बताया कि मगरमच्छी की खोपड़ी की तस्करी वाइल्ड लाइफ कानून का घोर उल्लंघन है. आरोपी के खिलाफ वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट-1972 के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है. दिल्ली वन्य विभाग ने प्रारंभिक जांच में इसके मगरमच्छ के बच्चे के होने की पुष्टि की है. आगे की जांच के लिए खोपड़ी को वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (देहरादून) के पास भेजा जाएगा. बता दें कि डब्ल्यूआईआई की जांच के बाद ही अंतिम तौर पर पुष्टि की जा सकेगी कि यह खोपड़ मगरमच्छ की ही है या किसी और जानवर की.