अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्रैफिर वॉर में इस बार भागलपुर के कपड़ा व्यापारियों की कमर टूटने वाली है. भागलपुरी सिल्क का जलवा देश से लेकर विदेशों तक फैला हुआ है. भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी भागलपुर की तसर सिल्क की फैन हैं. संसद में एक बजट तो उन्होंने तसर साड़ी पहनकर ही पेश किया है. भागलपुर की साड़ियों की डिमांड सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कई देशों में हैं. यहां का कपड़ा अमेरिका समेत अन्य देशों में भी जाता है.
बता दें कि यहां से कपड़ा से लेने के लिए 90 दिन पहले ऑर्डर करना पड़ता है. अप्रैल तक कई जगहों से ऑर्डर मिल जाते हैं. भागलपुर में टैरिफ वॉर का क्या असर पड़ेगा, इस पर लोकल 18 की टीम ने विदेश निर्यात करने वाले सिल्क व्यापारी तहसीन शबाब से बात की. तहसीन शबाब ने बताया, “भागलपुर में कपड़े का व्यापार पूरी तरह ठप पड़ गया है. थोड़ा सी जो आस अमेरिका से थी कि वहां से अच्छा खासा ऑर्डर मिल जाता था. वो भी अब खत्म हो गया है.”
उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में भी अब आर्डर की कोई संभावना दूर-दूर तक नहीं बन रही है. यहां का लूम अभी बन्द है. शबान ने कहा कि जिनके पास 5 लूम है, उनका 1 लूम चल रहा है. इसको बन्द ही माना जाएं.
क्या दिक्कत आ रही है? इस सवाल के जवाब में शबाब नेक हा कि जो भी विदेश से ऑर्डर तीन माह पहले मिलता है, फिर उसे तैयार करने में 90 दिन का समय मिलता है. जिस हिसाब से डिमांड होती है हमलोग उस हिसाब से उसका निर्यात कर देते हैं. उन्होंने कहा कि अगर अब टैक्स बढ़ेगा तो कपड़ों की कीमत बढ़ेगी. सब चीजों का कॉस्ट बढ़ जाएगा, तो ऐसे में अब हमलोगों को ऑर्डर ही नहीं मिलेगा. स्थानीय व्यापारी बताते हैं कि करीब 50 करोड़ से अधिक का ऑर्डर बुनकर क्षेत्र को सिर्फ अमेरिका से मिल जाता था. वहां कपड़े क्रिसमस के पूर्व अत्यधिक सप्लाई होता है. लेकिन इसबार थोड़ा मुश्किल लग रहा है.
कौन कौन सी चीज होती है सप्लाई
आपको बता दें कि अमेरिका यहां से सिल्क का कपड़ा बड़े पैमाने पर जाता है. तसर सिल्क, मलवरी सिल्क, मुगा सिल्क, एड़ी सिल्क समेत अन्य सिल्क के कपड़े का डिमांड विदेशों में खूब है. यहां के बेडसीट का डिमांड भी खूब है.