नई दिल्ली. सरकार ने मंगलवार को बताया कि जवाहर लाल नेहरू
विश्वविद्यालय (JNU) में छात्रों एवं शिक्षकों पर नकाबपोशों के हमले की
घटना में 51 लोग घायल हुए और निजी कारों एवं सम्पत्ति को नुकसान
पहुंचा. लोकसभा (Lok Sabha) में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में गृह राज्य
मंत्री जी किशन रेड्डी (Kishan Reddy) ने कहा कि दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट
के अनुसार, इस हमले के संबंध में छह जनवरी को वसंत कुंज, (उत्तर) पुलिस
थाने में एक मामला दर्ज किया गया.
मंत्री ने कहा कि 51 लोग घायल हुए और सभी की चिकित्सकीय जांच की गई. इस
घटना में किसी की मृत्यु नहीं हुई है. कुछ निजी कारों एवं सम्पत्ति को
नुकसान पहुंचा. इसमें शामिल कुछ दंगाइयों की पहचान की गई है. रेड्डी ने कहा
कि पुलिस ने जेएनयू परिसर के भीतर और बाहर सुरक्षा के उपाय किये हैं और
पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. उन्होंने बताया कि जेएनयू ने सूचित
किया है कि परिसर में 24 घंटे 277 निजी सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया
है.
29 अप्रैल तक का समय दिया
बता दें कि आज ही केन्द्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया
कि संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान जामिया मिल्लिया
इस्लामिया में हुई हिंसा की घटना में जांच अहम चरण में है. सॉलिसीटर जनरल
तुषार मेहता ने जांच के संबंध में रिपोर्ट दायर करने के लिए और समय मांगते
हुए यह दलील मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ
के समक्ष रखी. दलील पर गौर करते हुए पीठ ने केंद्र को जवाब दायर करने के
लिए 29 अप्रैल तक का समय दिया.
कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है
सुनवाई के दौरान, जामिया के कुछ छात्रों का पक्ष रख रहे वरिष्ठ
अधिवक्ता कोलिन गोन्जाल्विस ने कहा कि 93 छात्रों एवं शिक्षकों ने उनके ऊपर
हुए कथित हमलों की पुलिस में शिकायत दायर कराई है लेकिन अब तक एजेंसी के
खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है. याचिकाकर्ताओं के अन्य वकीलों ने
आरोप लगाया कि सरकार ने 19 दिसंबर को हुई अंतिम सुनवाई के वक्त चार हफ्ते
के भीतर जवाब दायर करने के लिए दिए गए अदालत के आदेश का अनुपालन नहीं किया
है. हालांकि, पीठ ने अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार किया और सरकार को
जवाब दायर करने के लिए 29 अप्रैल तक का समय दिया.