Home छत्तीसगढ़ राजनांदगांव : जिला अस्पताल में मरीजों के बेड खाली

राजनांदगांव : जिला अस्पताल में मरीजों के बेड खाली

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  1. सर्दी-खांसी के मरीज निजी चिकित्सकों की शरण में
    2. कोरोना के संदिग्ध भेेजे जाएंगे नये मेडिकल कालेज अस्पताल
    राजनांदगांव(दावा)। कोरोना वायरस का खौफ इतना बढ़ गया है कि लोग अब मेडिकल कालेज अस्पताल में आन से डरने लगे है। सामान्य सर्दी खांसी, सिर दर्द, बदन दर्द के मरीज अब अपने वार्ड में स्थित निजी क्लीनिकों व सामुदायिक अस्पताल में इलाज करवा रहे है। जिला अस्पताल प्रबंधन भी यह चाहती है कि महामारी का रूप धारण कर चुके कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते सामान्य रूप से बीमार मरीज मेडिकल कालेज अस्पताल आने की जहमत न उठाए। दैनिक दावा प्रतिनिधि द्वारा आज अस्पताल का जायजा लिए जाने पर पाया गया कि मरीजों के ज्यादातर बेड खाली है। इक्के-दुक्के मरीज ही भर्ती है।
    यहां कोरोना वायरस से बचाव व इलाज के लिए अलग-थलग बनाए गये आइसोलेशन वार्ड में कोरोना के एक संदिग्ध मरीज आबजर्वेशन में है। 100 बिस्तर मातृ-शिशु अस्पताल में भी डिलवरी के मरीज भी कम नजर आ रही है।

मेडिकल कालेज अस्पताल आने वाले हर व्यक्ति को सेनेटराइज करके प्रवेश दिया जा रहा है। हालांकि मेडिकल अस्पताल वाले मरीजों सहित उनकेे परिजनों को फ्री में मास्क बांटे जाने है लेकिन पर्याप्त रूप से मास्क की व्यवस्था नहीं होने के चलते सभी को मास्क वितरण नहीं किया जा रहा है। ले-दे कर स्टाफ के लोगों की मास्क वितरण हो पाया है। व्यवस्थापक देवेन्द्र तिवारी की माने तो अस्पताल में ही मास्क तैयार करने के लिए एक टेलर बिठाया गया हैै लेकिन वह दिनभर में बड़े-मुश्किल से 70-80 मास्क तैयार कर पा रही है जो अस्पताल में आने वाले लोगों लिए पर्याप्त नहीं है। बताया जाता है कि हेण्ड वाश के सेनेटराइज की भी कमी बनी हुई है जिसके कारण स्टाफ के लोगों को ही वह उपलब्ध सही हो पा रहा।

शिशु अस्पताल में तीन दिनों से लिफ्ट बंद

चार सौ बिस्तर मातृ-शिशु अस्पताल में पिछले तीन दिनों से लिफ्ट बंद पड़ा हुआ है जिसके कारण मरीज व उनके परिजनों सहित अस्पताल स्टाफ के लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। उसकी शिकायत अस्पताल सुपरिटेंडेंट डॉ. प्रदीप बैक से की जाने पर उन्होंने बताया कि अस्पताल में ज्यादा भीड़-भाड़ न हो इसलिए लिफ्ट बंद करवा दिया गया है केवल गर्भवती महिलाओं को डिलिवरी के लिए ले जाने पर ही लिफ्ट खोला जाता है। डॉ. बैक ने बताया कि सर्दी खांसी सिरदर्द, बदन दर्द, पेट दर्द, सामान्य बुखार आदि के मरीजों को अपने घर के समीप के निजी क्लीनिकों व सामुदायिक अस्पताल में इलाज कराने की सलाह दी जा रही है। इसकी एक वजह यह भी है कि कोरोना के संक्रमण के चलते अस्पताल में तरह-तरह के लोगों के आने से कही दूसरे लोग प्रभावित न हो जाए इसलिए सतर्कता बरती जा रही है। दूसरा कारण यह भी है कि कोरोना के संदिग्ध मरीजों पर नजर रखने डाक्टरों की इमरजेसी सेवाए देने के कारण ओपीडी में सिमित ही डाक्टर सेवाए दे रहे है इससे यहा आने वाले मरीजों को जांच के लिए घटो इंतजार करना पड़ रहा था। इसलिए ओपीडी सेवाए में कमी लाई जा रही है। डॉ. बैक ने बताया कि निजी क्लीनिकों व प्राईवेट डाक्टरों के पास इलाज करा रहे मरीज में यदि कोरोना के लक्ष्यण दिखाई पड़ते है तो उक्त डाक्टर सीधे सीएमएचओ से सम्पर्क कर इसकी जानकारी देगा। सीएमएचओ के द्वारा हमे जानकारी दी जाएगी। तत्पश्चात मेडिकल टीम भेजकर इसके उपचार हेतु यहा लाया जाएगा।

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