राजनांदगांव (दावा)। कोरोना वायरस के कारण लोगों में एक ओर दहशत का माहौल है, वहीं जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां रोजाना खुलेआम अवैध शराब की बिक्री हो रही है। पियक्कड़ों का मजमा लगने से प्रशासन के आदेश-निर्देश की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है।
सूत्रों के अनुसार उस गांव का नाम है जामनारा। जाम यानि शराब और जामनारा अवैध शराब बिक्री का एक बड़ा केन्द्र बना हुआ है। जामनारा गांव छुरिया ब्लॉक का आखिरी और बालोद जिले की सीमा पर यानि डौंडीलोहारा ब्लॉक का सीमावर्ती गांव है, जो पहाड़ी की तलहटी पर बसा हुआ है। इस गांव तक पहुंचने के लिए उमरवाही-गोड़लवाही या करमरी गांव से होकर जाना होता है। एक ओर पूरे जिले में कफ्र्यू लगने के कारण लोगों का आना-जाना दूभर हो गया है, वहीं छुरिया ब्लॉक का जामनारा गांव जिले का इकलौता ऐसा गांव है, जहां रोजाना अवैध रूप से शराब की बेधडक़ बिक्री हो रही है। कफ्र्यू के चलते जिले भर में शराब दुकानें बंद होने के कारण रोजाना यहां आसपास के गांवों सहित राजनांदगांव और बालोद जिले के शराबियों का जमावड़ा लग रहा है।
बताया जाता है कि करीब पांच सौ की आबादी वाले इस गांव के अधिकांश लोगों के द्वारा अपने घरों में कच्ची शराब बनाकर बेचने का काम 25-30 वर्षों से किया जा रहा है। करीब पंद्रह साल पहले इस गांव में डोंगरगांव पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम द्वारा संयुक्त रूप से छापा मारने का प्रयास किया गया, किंतु ग्रामीणों ने पुलिस वालों पर ही पत्थर बरसाना शुरू कर दिया, जिसके कारण पुलिस को बैरंग लौटना पड़ा। इस घटना में कुछ जवानों को चोंटे भी आई थी, उसके बाद से पुलिस ने कभी दोबारा उस गांव में छापा मारने की हिम्मत नहीं जुटाई। हां इतना जरूर हुआ कि पुलिस के कुछ जवानों का अवैध शराब विक्रेताओं के साथ सेटिंग जरूर हो गई। इस तरह पुलिस की शह पर ही अवैध शराब बनाकर बेचने का कारोबार फल-फूल रहा है। इससे भी ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि इस गांव में हर सप्ताह एक ज्वेलरी दुकान लगाकर एक से डेढ़ लाख रूपए तक का कारोबार भी करते आ रहा है, लेकिन मजाल है कि कोई इन्हें रोक सके।
इसी गांव से कुछ दूरी पर ग्राम करमरी के पास ग्वालीन डीह गांव भी अवैध शराब बिक्री से अछूता नहीं है। यहां भी रोजाना अवैध रूप से शराब की बिक्री को कारोबार बेधडक़ जारी है। रोज शाम को गांव के पास की पहाड़ी के पास शराब पीने वालों का मजमा लगता है, जिससे लोगों को परेशान होना पड़ रहा है, लेकिन पुलिस है कि किसी की सुनने को तैयार नहीं है। नए पुलिस कप्तान और कलेक्टर को इस दिशा में ध्यान अपेक्षित है।