Home छत्तीसगढ़ शिक्षा क्षेत्र में दैदीप्यमान नक्षत्र हैं लाल शंकर बहादुर सिंह

शिक्षा क्षेत्र में दैदीप्यमान नक्षत्र हैं लाल शंकर बहादुर सिंह

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70 वीं शादी की सालगिरह में बधाईयों का तांता
राजनांदगांव (दावा)। कला, साहित्य, संगीत व खेल के क्षेत्र में संस्कारधानी नगरी का नाम दूर-दूर तक विख्यात है। इसी तरह संस्कारिक धरा इस में शिक्षा के क्षेत्र को आगे बढ़ाने का जो काम किया है, उनमें से एक जिंदादिल शख्स व रायल किड्स शिक्षा संस्थान के पितृपुरुष लाल शंकर बहादुर सिंह जी हैं। खैरागढ़ राजपरिवार से संबंधित एवं जिले के पूर्व सांसद शिवेन्द्र बहादुर सिंह के जिला प्रतिनिधि रहे श्री सिंह के सुपुत्र श्री जे.बी. सिंह ने सर्वप्रथम सन् 1984 से शहर के स्टेशन रोड में रायल किड्स की नींव डाली थी। तत्पश्चात् इंग्लिश व हिन्दी मीडियम के शैक्षणिक क्षेत्र में अपना परचम लहराते हुए ऐसी लम्बी छलांग लगाई कि यह रायल किड्स रूपी पौधा एक शिक्षा संस्थान का वटवृक्ष बन चुका है। शहर के लालबाग सिंघी कालोनी में रायल किड्स व रायल कालेज के नाम से मशहुर शिक्षा संस्थान की प्रतिष्ठा हुई। जहां आज भी गरीब व मध्यम वर्ग के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि रायल किड्स एवं कालेज के संस्थापक श्रद्धेय लाल शंकर बहादुर सिंह के सुपुत्र जे.बी. सिंह राजकुमार कालेज (रायपुर) के प्रिसिंपल रहते हुए शिक्षा जगत में खूब नाम कमाया था। सन् 1986 में जिला पंचायत अधिकारी पद से सेवानिवृत होकर तथा 1986 से 88 तक तत्कालीन सांसद स्व. शिवेन्द्र बहादुर सिंह के जिला प्रतिनिधि रहकर लाल शंकर बहादुर सिंह ने सेवा भावना का परिचय दिया है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में न केवल राजनांदगांव शहर अपितु छुरिया जैसे ग्रामीण कस्बे में शिक्षा का अलख जगाया। एक नई परिभाषा गढ़ रहे रायल किड्स व रायल कालेज शिक्षा संस्थान स्कूल स्टाफ सहित व इन से जुड़े सेवाभावी लोगों सहित यहां पढऩे वाले विद्यार्थियों व पालकों का विश्वास व प्यार हासिल करते हुए संस्थापक लाल शंकर बहादुर सिंह ने शादी की 70 वीं सालगिरह में कदम रखा है। समस्त रायल किड्स-रायल कालेज परिवार ने अपने स्कूल के संस्थापक श्रद्धेय लाल शंकर बहादुर सिंह सहित उनकी धर्मपत्नी अन्नपूर्णा देवी को कोटिश: बधाई एवं शुभकामनाए दी है तथा दोनों के दीर्घायु होने की कामना की है।

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