राजनांदगांव(दावा)। जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती गीता घासी साहू ने कहा है कि प्रदेश के आरेंज जोन में मदिरा दुकानों को शुरू कराने की बजाय छत्तीसगढ़ सरकार को बाहर राज्यों में फंसे श्रमिकों को वापस लाने हेतु कारगर कदम उठाया जाना चाहिए।
श्रीमती साहू ने कहा कि चार मई से छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शराब भट्टी में शराब बिक्री प्रारंभ की जा रही है, जबकि बाहरी राज्यों में फंसे मजदूर भूखे प्यासे सैकड़ों मील पैदल चलकर अपने घर सुरक्षित नहीं पहुंच पाए हैं। शासन द्वारा शराब बिक्री करने के कारण लोग पहले से ही आर्थिक हालात से जूझ रहे हैं। लाकडाऊन में शराब दुकानों के बंद होने से गरीब, मजदूर विशेषकर महिलाएं गौरवान्वित महसूस कर रही थीं। घरों में कलह क्लेश बंद हो चुका है। इन कारणों से पुन: शराब दुकानों के चालू होने से महिलाओं में भारी नाराजगी देखी जा रही है। महिला कमांडो दल ने खुलेआम शराब पीने वालों पर अंकुश लगाया था। शराबबंदी होने से शराब की लत छूट गई थी, लेकिन पुन: चालू करने वाली छत्तीसगढ़ शासन से महिलाएं चिंतित एवं भयभीत हैं, क्योंकि लाक डाउन की वजह से आर्थिक स्थिति पहले ही खराब है और शराब बिक्री फिर शुरू हो रही है। यदि शराबी लोग घर का चावल बेचकर शराब पीने लग जाएं तो उनके परिवार की आर्थिक हालत और भी गंभीर हो जाएगी। लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। ऐसे में पुन: शराब बिक्री चालू करना गरीब परिवार की महिलाओं के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि शासन को चाहिए कि लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न करें। छत्तीसगढ़ शासन चाहे तो हमेशा के लिए शराबबंदी करके मानव समाज का उत्थान कर सकता है। विधान सभा चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में कांग्रेस सरकार द्वारा शराबबंदी का वादा किया गया था, जिस पर अमल करने की बजाय पुन: शराब बिक्री का निर्णय जनता के साथ धोखा है।