महंगे दामों पर बेचने व भंडारण करने में लगे हैं रेत माफिया
डोंगरगांव(दावा)। क्षेत्र के सभी नदियों में इन दिनों अवैध रेत उत्खनन व परिवहन का कार्य जोरों पर है. इस धंधे में क्षेत्र के अनेक जनप्रतिनिधि व पंचायत प्रतिनिधि धड़ल्ले से इस कारोबार को अंजाम दे रहे हैं. वहीं प्रशासन भी कार्यवाही के नाम पर छोटी मछलियों पर हाथ डालकर बड़ों को तथाकथित संरक्षण दे रही है. क्षेत्र से बहने वाले सूखा नाला, शिवनाथ व घुमरिया नदी में लगभग हर स्थानों पर रेत की निकासी धड़ल्ले से हो रही है परन्तु क्षेत्रवासियों को अब भी महंगे दामों पर रेत उपलब्ध हो रही है जबकि रेत माफियाओं के व्दारा रायल्टी अथवा कोई भी शुल्क भुगतान नहीं किया जा रहा है. इस संदर्भ में नगर के नंदकुमार, परमानंद व अन्य ने बताया कि उनके यहाँ मकान निर्माण का काम बीते पांच माह से जारी था परन्तु लॉकडाऊन व रेत के महंगे दामों के कारण मकान का काम अधूरा था परन्तु आगे मानसून को देखते हुए मजबूरी में 1500 रूपये से मिलने वाली रेत के लिए 3 से 5 हजार रूपये तक भुगतान करना पड़ रहा है. जनप्रतिनिधि व माफियाओं को है संरक्षण?
क्षेत्र के ग्राम रेंगाकठेरा, मनेरी, बरगाँव, बगमार, खुज्जी व अन्य अनेक ऐसे ग्राम हैं जहाँ के पंचायत प्रतिनिधि अथवा उनके परिजन रेत की अवैध निकासी में लगे हुए हैं. बीते दिनों ग्राम मनेरी में एक वरिष्ठ जनप्रतिनिधि के पिता के वाहन सहित कुल 7 वाहनों को पकड़ा गया था. इसी प्रकार ग्राम पंचायत रेंगाकठेरा सरपंच व एक अन्य के वाहनों के व्दारा सूखानाला नदी से लगातार रेत निकासी कर महंगे दामों पर बेचे जाने व भंडारण की खबर सामने आ रही है. वहीं खुज्जी, नगर के मटिया तथा बगमार में वरिष्ठ जनप्रतिनिधि के संरक्षण में लगातार रेत निकासी की जा रही है, परन्तु अब तक कोई भी ठोस कार्यवाही नहीं की गई है. वहीं क्षेत्रवासियों को रेत माफियाओं व्दारा रेत को महंगे दामों में बेचा जा रहा है तथा अवैध रूप से भंडारण की भी खबर है. ज्ञात हो कि प्रशासन की रेत से जुड़े विभिन्न कार्यवाही पर प्रश्रचिन्ह लगाते हुए क्षेत्र के जनता प्रतिनिधि जिन्हें शासन का अंग कहा जाता है, वे स्वयं ही इस मुद्दे पर प्रशासन के विरोध में धरने पर बैठे थे.
चेहरा देखकर होती है कार्यवाही
स्थानीय प्रशासन के द्वाारा इन अवैध रेत खदानों पर अक्सर दबिश दी जाती है परन्तु कार्यवाहियों के आंकड़े कुछ और ही कहते हैं. बीते 4 अप्रैल को ग्राम बरगांव में भी जिम्मेदार अधिकारी के व्दारा अवैध रेत निकासी करते दो वाहनों को पकड़ा था. इन वाहनों पर ना तो कोई कार्यवाही हुई और ना ही इसकी जानकारी उच्च कार्यालय अथवा मिडिया को ही दी गई जबकि इस स्थल से महीनों से लगातार आज दिनांक तक रेत की निकासी कर नदी की दिशा बदली जा रही है और कार्यवाही अब तक शून्य है जबकि जनप्रतिनिधि स्वयं ही अवैध रेत निकासी की बात स्वीकार करते हैं. इस संदर्भ में जब ग्राम पंचायत माथलडबरी के सरपंच को मोबाईल पर संपर्क किया गया तो नदी से रेत निकासी के लिए उन्होंने कोई अनुमति नहीं लेना स्वीकार किया है, वहीं शासन व प्रशासन के इस रवैय्ये पर क्षेत्र में चर्चा का बाजार गर्म है.