राजनांदगांव(दावा)। जिले के महाराष्ट्र सीमा स्थित बागनदी के पास प्रवासी मजदूरों की भीड़ जमा होने की खबर पर आज कलेक्टर ने मौके पर पहुंचकर जायजा लिया और आवश्यक इंतजाम कराए।
ज्ञात हो कि लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिकों के घर लौटने की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। श्रमिक पैदल के अलावा ट्रक या अन्य मालवाहकों में पहुंच रहे हैं। इधर महाराष्ट्र सरकार भी अपने राज्य परिवहन की बसों से प्रवासी श्रमिकों को राज्य सीमा तक छोड़ रही है। इसके चलते जिले की सीमा बागनदी में घर वापसी करने वाले श्रमिकों की भीड़ बढ़ गई है। श्रमिकों की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने यहां केवल जांच चौकी ही बनाई है, जिसमें अब प्रवासी मजदूरों की एंट्री तक नहीं हो रही है। गंभीर बात तो यह है कि लोगों को शारीरिक दूरी का नियम बताने वाले प्रशासनिक अफसर खुद बागनदी में जुटी भीड़ को कम करने मालवाहकों में बैठाकर श्रमिकों को उनके गृह जिला भेज रहे हैं। स्थिति यह है कि बागनदी से भीड़ हटाने के लिए प्रशासन ट्रकों व अन्य मालवाहकों में मजदूरों को बेवजह भी ठूंस रहे हैं। यही वजह है कि मालवाहक से घर जाने वाले श्रमिकों में कहीं भी शारीरिक दूरी देखने को नहीं मिल रहा है। बुधवार को जिले की सीमा बागनदी में बढ़ रही श्रमिकों की भीड़ व सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने कलेक्टर जेपी मौर्य मौके पर पहुंचे। प्रवासी श्रमिकों की भीड़ देख कलेक्टर ने भी मजदूरों को मालवाहकों से गांव लौटने के निर्देश दिए।
ट्रकों व मालवाहकों के ऊपर बैठकर सफर करना अपराध ही नहीं जोखिम भी है। बावजूद प्रशासन खुद ट्रकों व अन्य मालवाहकों के ऊपर श्रमिकों को बैठा रही है। केवल इसलिए ताकि प्रवासी श्रमिकों की भीड़ जिले की सीमा से कम हो सके। इधर लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिक भी इस तरह के जोखिम उठाने को मजबूर हैं, क्योंकि उन्हें गांव लौटना है। स्थिति यह है कि श्रमिकों के साथ पत्नी व बच्चें भी मालवाहकों को जान जोखिम में रखकर सफर करने को मजबूर हो गए हैं। हैदराबाद से राजनांदगांव पैदल पहुंचे खैरागढ़ ब्लॉक के श्रमिक नेमचंद, मनोहर वर्मा, सालिक राम व सुखीराम जंघेल ने बताया कि ट्रकों व मालवाहकों में बड़ी संख्या में श्रमिकों को बैठा रहे हैं, जिससे कोरोना का संक्रमण बढ़ सकता है। वहीं जान का खतरा भी है। इसलिए हम पैदल ही चलकर लौट आए हैं। श्रमिकों ने कहा कि जिस तरह ट्रेन चलाई जा रही है, उसी तरह मजदूरों को लाने के लिए शासन-प्रशासन बसों का परिचालन भी करें।
ट्रेन से आए श्रमिक भी गांव भेजे गए
लिंगमपल्ली हैदराबाद से स्पेशल ट्रेन में लौटे श्रमिकों को क्वारंटाइन के लिए गांव भेज दिया गया है। एक दिन पहले ही ट्रेन से जिले के 85 श्रमिक शहर लौटे थे, जिन्हें रैन बसेरा में रखने के बाद दूसरे दिन गांव रवाना कर दिया गया। रैन बसेरा में सभी श्रमिकों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। जिसमें किसी भी श्रमिकों में कोरोना संक्रमण नहीं मिला है। फिर भी सुरक्षा को लेकर ग्रामीण श्रमिकों को गांव के क्वारंटाइन सेंटर में 14 दिन रहने की हिदायत दी गई है। यही नहीं प्रशासन ने संबंधित ग्राम पंचायतों को भी श्रमिकों को क्वारंटाइन कर राहत केंद्रों में व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए।