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सफाई ठेके की दर को लेकर एमआईसी में खींचतान, नहीं हुआ कार्यादेश जारी

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पुराने बढ़े हुए दर पर हो रही सफाई, निगम को हो रहा लाखों का नुकसान
राजनांदगांव (दावा)। नगर निगम में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस में सफाई ठेका को लेकर जमकर बवाल मचा हुआ है। 28 वार्डों में सफाई के लिए जारी हुए टेंडर में कांग्रेस व भाजपा ने सेटिंग के तहत महिला समूहों के जरिए न्यूनतम दर के आधार पर ठेका पर कब्जा तो कर लिया, लेकिन दर को लेकर एमआईसी में अब तक सहमति नहीं बनी है। एमआईसी में टेंडर का अनुमोदन नहीं होने से पिछले डेढ़ माह से पिछले टेंडर पर ही काम हो रहा है। पिछले बार का टेंडर प्रति श्रमिक प्रतिदिन करीब साढ़े 450/- रुपए के दर से था, नए टेंडर में न्यूनतम दर 370 रुपए तक गया है। ऐसे में नया टेंडर होने के बाद भी एमआईसी से दर स्वीकृत नहीं होने से नये समूहों को कार्यादेश जारी नही हुआ है और पुराने दर पर ही काम चल रहा है। इससे निगम प्रशासन को लाखों का राजस्व नुकसान उठाना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि नगर निगम प्रशासन द्वारा शहर के 28 वार्डों में सफाई के लिए टेंडर जारी किया था। इसमें सत्ताधारी दल कांग्रेस और भाजपा के कुछ कद्दावार पार्षदों ने सेटिंग के तहत न्यूनतम दर के आधार पर सफाई ठेका पर कब्जा जमा लिया है। टेंडर के बाद प्रस्ताव को मंजूरी के लिए एमआईसी में जाना है। मिली जानकारी के अनुसार एमआईसी मेम्बरों में दर को लेकर अब तक सहमति नहीं बनी है और प्रस्ताव अटका हुआ है।
एक बार रद्द हुआ था टेंडर
मिली जानकारी के अनुसार सफाई ठेका के लिए हुए टेंडर एक बार रद्द हुआ था। इसमें पहले हुए टेंडर को तकनीकि कारणों से स्थगित का दिया था। पुराने टेंडर की अवधि 31 मार्च को खत्म हो गई है। निगम प्रशासन द्वारा पहले चरण का टेंडर 4 मार्च को जारी किया गया था। टेंडर फार्म जमा करने की अंतिम तिथि 16 मार्च था। बताया जा रहा है कि बवाल मचने के बाद पहले टेंडर को रद्द कर दिया गया। इसके बाद दूसरा टेंडर 3 अप्रैल को फिर जारी किया गया। इसमें टेंडर फार्म जमा करने की अंतिमि तिथि 24 अप्रैल था। 27 अप्रैल को टेंडर खोला गया।
दो-तीन बार एमआईसी हुई स्थगित
मिली जानकारी के अनुसार सफाई ठेका टेंडर प्रस्ताव पर मुहर लगाने दो-तीन बार एमआईसी की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन आपसी खींचतान की वजह से एमआईसी मेम्बर बैठक में शामिल नहीं हुई। इसमें पहला बैठक 27 अप्रैल को बुलाई गई थी। इसके बाद फिर से 10 मई को मामले को लेकर एमआईसी की बैठक बुलाई गई थी। इसमें भी मेम्बर शामिल नहीं हुए। एमआईसी में प्रस्ताव पास नहीं होने से टेंडर के बाद भी सफाई ठेका पुराने दर पर ही चल रहा है। बताया जा रहा है कि मामले को लेकर फिर से 18 मई सोमवार को एमआईसी की बैठक बुलाई गई है।

सफाई ठेका टेंडर दर को स्वीकृत करने अप्रैल में एमआईसी की बैठक बुलाई गई थी। कोरोना की वजह से बैठक स्थगित की गई। समूहों को कम दर के हिसाब से टेंडर मिला है। 18 मई को इस मामले में एमआईसी की बैठक है। एमआईसी मेम्बरों में किसी बात को लेकर कोई मतभेद नहीं है।
श्रीमती हेमा देशमुख महापौर

सफाई ठेका का टेंडर होने के बाद भी कांग्रेसी आपस में उलझे हुए हैं और एमआईसी में प्रस्ताव पास नहीं हो रहा है। महापौर में प्रशासनिक क्षमता नहीं है। इसकी वजह से शहर में सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। न्यूनतम दर के हिसाब से 370 रुपए में सफाई का ठेका हुआ है। इसमें कर्मचारियों को ईपीएफ और जीपीएफ मिलेगा कि नहीं यह भी स्पष्ट नहीं है। कांग्रेसी बदनाम करने भाजपा पार्षदों का नाम सफाई ठेका में घसीट रहे हैं। –श्रीमती शोभा सोनी, नेता प्रतिपक्ष निगम

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