राजनांदगांव । छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा शासकीय कर्मचारियों के वेतन वृद्धि को रोकने का आदेश शासकीय कर्मचारियों के प्रति अन्याय एवम उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। उसके बजाए मुख्यमंत्री और उनके मंत्रीगण तथा कांग्रेस के विधायक अपने मिलने वाले मानदेय में 30% की कमी करते हुए केंद्र सरकार के तर्ज पर अगले दो साल के लिए विधायक निधि को कोरोना के आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए आत्म-समर्पित करे।।
राज्य के शासकीय कर्मचारियों के प्रति सरकार के इस आदेश का जमकर विरोध करते हुए जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष एवम जिला भाजपा के उपाध्यक्ष श्री दिनेश गांधी ने कहा कि पूरे कोरोना के संकट काल मे अपने परिवार एवम स्वास्थ्य की चिंता किये बगैर सभी प्रकार के प्रशासनिक एवम जनहित के कार्यों को अंजाम देने वाले कर्मचारियों के वेतन वृद्धि को रोकने का फैसला राज्य सरकार के तानाशाही पूर्ण रवैये को प्रदर्शित करता है ,कर्मचारियों के कार्यों की प्रशंसा करने के बजाए सरकार उनके वेतन वृद्धि को रोक कर उन्हें हतोत्साहित ,एवम अपमानित कर रही है ,जिसके कारण कर्मचारियों में आक्रोश भी पनप रहा है और कभी भी विस्फोटक स्थिति को जन्म दे सकता है।
श्री गांधी ने कहा कि राज्य सरकार अपने अहम और सत्ता के मद में इतनी मदमस्त हो गई है कि उसे अच्छे बुरे का ज्ञान ही नही रह गया है,कर्मचारियों के वेतन वृद्धि में प्रतिबन्ध लगाने के बाद शासकीय कर्मचारियों के वेतन में 25% की कमी करने का वित्त विभाग को भेजा गया प्रस्ताव उनके और उनके परिवार के प्रति खुला अत्याचार और सरकार की स्वेच्छाचारिता का भी प्रतीक है यह शासकीय कर्मचारियों पर सरकार का चौतरफा हमला है,सरकार के इस तरह के निर्णय से जिस बहुमत से यह सरकार बनी है उसी के बोझ से यह स्वतः गिर भी जाएगी क्योंकि लोकतंत्र में स्वेच्छाचारिता से लिये गए निर्णयों की बल्कि नही जनसेवा के उद्देश्य से लिये जाने वाले निर्णयों के सम्मान किया जाता है ,जिसको भुपेश बघेल की सरकार ने खो दिया है ,किसानों के साथ न्याय योजना के नाम पर किया जा रहा अन्याय हो या बेरोजगारों को 2500 रुपया दिए जाने का वायदाखिलाफी वाला बेरोजगारी भत्ता हो ,सभी मे यह सरकार विफल रही है और अब कर्मचारियों को उनके द्वारा किये गए कार्यो के बदले किये दिए जाने वाले वेतन में भी 25% कटौती करने का प्रयास एवम उनके वेतन वृद्धि को रोकने का आदेश देकर सरकार ने जो छल कपट किया है ,उसने सरकार के वास्तविक चरित्र को उजागर कर दिया है।
श्री गांधी ने कहा है कि भारतीय संविधान में वित्तीय आपातकाल में ही कर्मचारियों के वेतन में कटौती का ही प्रावधान है ,उसका भी इस सरकार ने अतिक्रमण कर दिया है और समस्त संवैधानिक प्रावधानों को किनारे करते हुए अपनी मनमर्जी से कर्मचारियों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ कर रही है ,इसका नतीजा आने वाले समय मे इस सरकार को भुगतना ही होगा।।