बालोद में पदस्थ अधिकारी को सौंपा गया है राजनांदगांव का प्रभार, माह में दो-तीन दिन ही दफ्तर पहुंचते हैं अधिकारी
राजनांदगांव (दावा)। जिले में आरटीओ से संबंधित कोई काम नहीं हो रहा है। काम के लिए पहुंच रहे लोगों को महिनों चक्कर लगाना पड़ रहा है। यह जिले के लिए बड़ी विडंबना है यहां का प्रभारी मंत्री के पास परिवहन मंत्रालय का जिम्मा है। बावजूद इसके राजनांदगांव के आरटीओ दफ्तर में एक जिम्मेदार अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है।
गौतलब है कि भाजपा शासन काल में राजनांदगांव जिले के आरटीओ दफ्तर में गनी खान अधिकारी थे। साल भर पहले अधिकारी गनी खान का रिटायरमेंट हुआ है। इसके बाद कांग्रेस के शासन काल में जिले का आरटीओ दफ्तर का जिम्मा बालोद जिले में पदस्थ आरटीओ अधिकारी रविन्द्र ठाकुर को दिया गया है। मिली जानकारी के अनुसार आरटीओ अधिकारी रविन्द्र ठाकुर राजनांदगांव दफ्तर में माह में 2 या 3 दिन ही पहुंचते है। इसकी वजह से जिम्मेदार अधिकारी नहीं होने से आरटीओ से संबंधित कोई भी काम यहां पर नहीं हो रहा है।
यह-यह काम कई महिनों से पेडिंग
दफ्तर में जिम्मेदार अधिकारी नहीं होने से यहां पर नया लाइसेंस बनाने, लाइसेंस नवीनीकरण, वाहनों का रजिस्ट्रेशन, पंजीयन पुस्तिका, वाहनों का फिटनेस, सहित अन्य टेक्निकल काम नहीं हो रहे हैं। इन कार्यों को लेकर पहुंच रहे लोग कई महिनों से आरटीओ दफ्तर का चक्कर कांटने मजबूर हैं। बावजूद इसके शासन-प्रशासन को लोगों को हो रही परेशानियों से कोई लेना-देना नहीं है।
बड़े जिले में अधिकारी नहीं, शासन की बेरुखी
राजनांदगांव जिला क्षेत्रफल व जनसंख्या की दृष्टि से राज्य का सहसे बड़ा जिला है और यहां पर आरटीओ संबंधित काम बड़े पैमाने पर है। बावजूद इसके राज्य शासन द्वारा आरटीओ के मामले में जिले की अनदेखी की जा रही है। साल भर से आरटीओ दफ्तर प्रभारी अधिकारी के भरोसे चल रहा है। मिली जानकारी के अनुसार अधिकारी का यहां के कार्यों में कोई दिलचस्पी नहीं है और माह में 2 या 3 दिन ही दफ्तर पहुंच रहे हैं। प्रभारी मंत्री मोहम्मद अकबर परिवहन मंत्री भी है। बावजूद इसके उसके प्रभार वाले जिले में आज तक आरटीओ अधिकारी की नियुक्त नहीं होने से जिले के निवासियों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है।