विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद सोशल मीडिया में लाखों सवालों की झड़ी लग गई है. अपने-अपने हिसाब से लोग पुलिस, उत्तर प्रदेश सरकार और बीजेपी-कांग्रेस से सवाल कर रही है. कई लोग मजेदार मीम्स बनाकर भी सोशल मीडिया में वायरल कर रहे है. कुछ लोग इस एनकाउंटर को सही बता रहे है तो कुछ इसे गलत. कुछ इसे जाति-धर्म से भी जोड़कर सवाल पूछ रहे है और कई सवालों का जवाब जानना चाह रहे है. इसे लेकर अमर उजाला ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें ग्राउंड रिपोर्टिगं के हालात को देखते हुए कई जायज सवाल उठाए है, जिसके जवाब का इंतेजार पूरे देश को है.
- दिनभर चार्टर्ड प्लेन की खबरें थीं, फिर सड़क के रास्ते कैसे ले जाया गया?
पहले चर्चा थी कि विकास को चार्टर्ड प्लेन के जरिए उज्जैन से इंदौर और फिर वहां से यूपी ले जाया जाएगा, लेकिन गुरुवार शाम को अचानक कहा गया कि उसे सड़क के रास्ते ले जाया जाएगा और इसके लिए यूपी एसटीएफ की टीम आ रही है. लेकिन एसटीएफ की टीम आई ही नहीं. शाम को उज्जैन से एमपी पुलिस की टीम विकास को झांसी तक ले गई.
- पुलिस के काफिले में कई गाड़ियां थीं, एक्सीडेंट सिर्फ उसी गाड़ी का हुआ जिसमें विकास सवार था?
विकास को जब झांसी में एमपी पुलिस ने यूपी पुलिस के हवाले किया, तब वहां 10 से ज्यादा गाड़ियां तैयार थीं. इसमें से एक गाड़ी में विकास को बैठाया गया. बाकी गाड़ियां आगे-पीछे थीं. मीडिया भी इस काफिले का पीछा कर रहा था. भारी बारिश हो रही थी. इस पूरे काफिले में एक्सीडेंट सिर्फ विकास की गाड़ी का हुआ. पुलिस की बाकी किसी गाड़ी या मीडिया की किसी गाड़ी के साथ हादसा नहीं हुआ.
मीडिया को जानबूझकर रोक दिया गया?
आरोप है कि काफिले के साथ चल रही मीडिया की गाड़ियों को रोकने के लिए बीच में अचानक चेक पोस्ट लगा दी गई. इस वजह से मीडिया की गाड़ियां पीछे छूट गईं. बाद में खबर आई कि विकास दुबे जिस गाड़ी में था, वह पलट गई और उसका एनकाउंटर हो गया. एनकाउंटर के बाद मौके पर पहुंचे पुलिस के आला अफसरों ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या मीडिया को रोकने के लिए ही अचानक चेकिंग शुरू की गई थी?
- विकास को हथकड़ी नहीं लगाई थी?
यह भी बड़ा सवाल है कि जिस पर 60 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हों, जो 8 पुलिसवालों की हत्या का आरोपी हो, उसे गाड़ी में क्या हथकड़ी पहनाकर नहीं बैठाया गया था? उज्जैन के महाकाल मंदिर के निहत्थे गार्ड ने विकास को रोका था. कहा गया था कि गार्ड के साथ हाथापाई भी हुई, लेकिन विकास भाग नहीं सका. उसे पकड़ने वाली उज्जैन पुलिस के पास लाठी तक नहीं थी. वहीं, कानपुर के पास जब पुलिस की गाड़ी पलट गई तो विकास ने कैसे हथियारबंद पुलिस से पिस्टल छीन ली और फायरिंग करने लगा?
- कौन-से बड़े खुलासे करने वाला था विकास दुबे?
इस बारे में पूछे जाने पर यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने बताया था कि विकास से पूछताछ की जाए तो बड़े-बड़े लोगों के नाम सामने आएंगे. इसमें आईएएस, आईपीएस, नेताओं के नाम सामने आ सकते हैं. विकास का उज्जैन में पकड़ा जाना समझ से बाहर है.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दिलचस्प ट्वीट किया. उन्होंने लिखा- दरअसल कार नहीं पलटी है, राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गई है. मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा- जिसका शक था, वही हो गया. विकास दुबे का किन-किन राजनीतिक लोगों, पुलिस अधिकारियों से संपर्क था, अब यह उजागर नहीं हो पाएगा. सभी एनकाउंटर का पैटर्न एक समान क्यों है?
6. उज्जैन में गिरफ्तारी क्या स्क्रिप्टेड थी?
विकास दुबे 4 राज्यों से गुजरते हुए 1250 किमी का सफर तय कर उज्जैन कैसे पहुंचा था, यह सस्पेंस बना हुआ है. उज्जैन में उसकी गिरफ्तारी पर भी सवाल उठे. एक दिन पहले यानी बुधवार दोपहर को उज्जैन के महाकाल थाना प्रभारी और चौकी प्रभारी का तबादला हुआ. रात को कलेक्टर आशीष सिंह और एसपी मनोज सिंह महाकाल मंदिर पहुंचे थे. दाेनाें का दावा है कि वे एक बैठक के सिलसिले में गए थे.