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कार चोरी होने के एक महीने बाद दिल्ली के शख्स को मिला तेज रफ्तार कार चलाने का चालान

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पोद्दार ने कहा कि 30 जून को जब तक चालान नहीं मिला था, तो मुझे लगा कि चोरों ने कार नष्ट कर दी होगी।

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी के एक निवासी को पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार पुलिस स्टेशन से तेज रफ्तार में कार चलाने के मामले में चालान भेजा गया है। यह चालान उन्हें ऐसे समय में भेजा गया है, जबकि उनकी कार को चोरी हुए 20 दिन से अधिक समय हो गया था। पुलिस ने कहा कि पश्चिमी दिल्ली के हरि नगर के रहने वाले योगेश पोद्दार की गाड़ी 6 जून को चोरी हो गई थी और तब से इसके बारे में पुलिस कोई सुराग नहीं लगा पाई। हालांकि, 28 जून को उन्होंने मिलेनियम डिपो के पास तेजी से कार चलाने की वजह से जुर्माना भरने के लिए चालान भेजा गया था।

पोद्दार के अनुसार, उन्होंने 5 जून की रात करीब 8 बजे विवेक विहार पुलिस स्टेशन के पास अपनी कार खड़ी की थी। उन्होंने बताया कि वह विवेक विहार पुलिस स्टेशन के पीछे, ई-ब्लॉक, झिलमिल कॉलोनी में अपने ससुराल गए थे। सड़कों पर भीड़ थी, इसलिए मैंने अपना वाहन पुलिस स्टेशन के पास मुख्य सड़क पर खड़ा कर दिया। हालांकि, अगले दिन मेरी कार वहां नहीं थी। दवा सामग्री की पैकेजिंग का काम करने वाले पोद्दार ने कहा कि उन्होंने इस मामले में ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराई थी।

पुलिस ने दावा किया कि जिस जगह पर पोद्दार ने अपनी कार खड़ी की थी, उसके आस-पास कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था। आस-पास के इलाकों से फुटेज का विश्लेषण करने के बावजूद भी पुलिस पोद्दार की कार का पता नहीं कर पाई। जिस इलाके में उनकी कार खड़ी हुई थी, उसमें सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा था। पुलिस ने कहा कि हमने आस-पास के इलाकों में लगे कई सीसीटीवी कैमरों से फुटेज स्कैन किए, ताकि वाहन से भागे अपराधियों की पहचान हो सके। मगर हमें कुछ नहीं मिला।

अधिकारी ने कहा कि काफी कोशिशों के बावजूद भी हम कार का पता नहीं लगा सके और कुछ दिनों के बाद, उचित प्रक्रिया के बाद हमने अदालत में एक कार बरामद नहीं होने की रिपोर्ट लगा दी। हालांकि, बमुश्किल एक हफ्ते बाद 30 जून को शिकायतकर्ता को अपने चोरी के वाहन की फोटो के साथ तेज रफ्तार से कार चलाने के मामले में चालान प्राप्त हुआ। पोद्दार ने तुरंत जांच अधिकारी को सूचित किया क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि पुलिस अब चोरी किए गए वाहन का पता लगा सकेगी।

पोद्दार ने कहा कि 30 जून को जब तक मुझे कार का चालान नहीं मिला था, तो मुझे लगा कि चोरों ने या तो कार को नष्ट कर दिया होगा या दिल्ली के बाहर किसी को बेच दिया होगा। मगर, जब मुझे फोटो के साथ चालान मिला, तो मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि न तो मेरी कार का रंग बदला गया था और न ही इसकी नंबर प्लेट हटाई गई थी। हालांकि, डैशबोर्ड पर केवल कुछ स्टिकर और एक मूर्ति गायब थी। इसके बावजूद, पुलिस मेरे चोरी के वाहन को तलाश करने में विफल रही है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि कार के चालान से पहले कार को तलाश न कर पाने की रिपोर्ट दायर की गई थी और यह अभी भी अदालत में लंबित है। हम चोरी की गाड़ी का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं।

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