राजनांदगांव(दावा)। सोमवार से जिले के कई रूटों पर यात्री बसों का दौडऩा प्रारंभ हो गया है। लेकिन बसों की यात्रियों के लाले पड़े हुए है। सडक़ो में बामुश्किल एक-दो यात्री मिल जाए तो काफी है। इतने में तो न डीजल का खर्चा निकल पाएगा और न ड्राइव्हर-कंडेक्टर का तनख्वाह दिया जा सकेगा। फिलहाल सडक़ो में बगैर यात्रियों के खाली बस दौड़ाना बस संचालकों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है।
ज्ञात हो कि राज्य शासन के निर्देश पर बस संचालकों ने जिले के सभी रूटों पर गाडिय़ा दौड़ाई। सोमवार से यात्रियों की सुविधा के लिए प्रारंभ की गई बस परिवहन से बस मालिक परेशान है क्योंकि उन्हें चार-चार हजार का डीजल डलवाने के बाद भी रूटों में यात्री नहीं मिल पा रहे है। दैनिक दावा संवाददाता ने स्वयं बालोद, अर्जुन्दा, गुडरदेही रूट में दौडऩे वाली दादा जी ट्रेवल्स की बस में मात्र दो यात्री को बैठे हुए पाया।
गंज चौक निवासी आनंद रोडवेज के संचालक हमीद सोलंकी (हन्नु भाई) ने बताया कि ऐसे हालात में सडक़ पर खाली गाडिय़ा दौड़ाना संभव नहीं है। राज्य शासन के निर्देश से बस संचालकों द्वारा जिले के छुरिया, खैरागढ़ के अलावा अन्य जिले बालोद, धमतरी, भानुप्रतापपुर क्षेत्र में बसे दौड़ाई जा रही है। लेकिन रूट में उन्हें बामुश्किल एक-दो यात्री ही मिल पा रहे है। बताया जाता है कि कोरोना संक्रमण के डर से यात्री बसों में यात्रा करने से डर रहे है। शहरों से ज्यादा गांव-देहात क्षेत्र में कोरोना संक्रमण का खौफ बने रहने से लोग ज्यादातर बाहर निकल नहीं रहे। यदि कही जाना आवश्यक हो तो लोग बसों के बजाय दुपहिया वाहनों में सफर करना ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रहे है। इधर सडक़ो में यात्री बसों को पर्याप्त पैसेजर नहीं मिलने से बस संचालक भी पशोपेश में पड़ गये है। उनका कहना है कि सडक़ों में दौडऩे से पहले बसो में कम से कम साढ़े तीन से चार हजार का डीजल डलवाना पड़ता है। इसके बाद भी उन्हें मात्र एक-दो सवारी से दो-तीन सौ रूपये मिले तो हाथ पाव ठंडा होना ही है। संचालकों का कहना है कि यदि ऐसा ही हाल रहा तो घाटा खाकर बसे चलाना संभव नहीं होगा। या तो फिर बसो के संचालन में कटौती करनी पड़ेगी या फिर नुकसानी का सौदा कबूल न करते हुए बसे खड़ी कर देनी पड़ेगी।
राज्य शासन के निर्देश पर जिले के सभी रूटों में दस फीसदी बसें चलाना शुरू किया गया था लेकिन रूटो में यात्री नहीं के बराबर मिलने से बस कम करने का निर्णय लिया गया है। एक-दो दिन और चला कर देख लेते है यदि यही हाल रहा तो बसे खड़ी कर दी जाएगी। -रईस अहमद शकील, अध्यक्ष मिनी बस आपरेटर संघ