राजनांदगांव(दावा)। ग्रामीणों को सिंचाई और पेयजल की सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से शिवनाथ नदी पर धीरी के पास धीरी समूह जल प्रदाय योजना अंतर्गत 24 करोड़ की लागत से बनाए गए एनीकट में पीएचई विभाग का भ्रष्टाचार खुलकर सामने आया है। बेस नहीं होने के कारण एनीकट की वाल जगह-जगह टूटकर ढह गई है। नतीजतन उसमें अब पानी ठहरता ही नहीं है। इसके कारण आसपास के लोगों को गर्मी के दिनों मेंं न तो पीने का पानी नसीब हो पाता और न ही किसानों को सिंचाई की सुविधा मिल पा रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीणों की मांग पर तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा वर्ष 2006-07 में धीरी के पास शिवनाथ नदी में एनीकट बनाने हेतु 24 करोड़ रूपए की मंजूरी दी गई थी। इस कार्य को पूर्ण कराने का जिम्मा पीएचई विभाग राजनांदगांव को मिला था। शासन द्वारा इसे धीरी समूह जल प्रदाय योजना का नाम दिया गया था। इसका उद्देश्य ग्राम धीरी सहित आसपास के करीब 24 गांवों को एनीकट के माध्यम से गर्मी के दिनों में पेयजल प्रदाय करना और किसानों को कृषि कार्य के लिए सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना था। एनीकट का निर्माण जिस तरीके से किया गया है, उसे देखकर यह बात साफ आती है कि पीएचई के अधिकारियों द्वारा सरकारी राशि का बंदरबाट कर इस काम को खानापूर्ति के रूप में अंजाम दिया गया है।
विभागीय लापरवाही से 24 गांव अब भी प्यासे
धीरी जलसमूह प्रदाय योजना के तहत आसपास के 24 गांवों को पेयजल आपूर्ति की जानी थी, लेकिन शिवनाथ नदी पर धीरी में बनाए गए एनीकट में इस कदर भ्रष्टाचार किया गया कि एनीकट के बेस का ही ठिकाना नहीं रहा, जिसके कारण एनीकट की दीवार कई जगहों से टूट गई। नतीजतन पानी के ठहराव के लिए कोई गुंजाइश ही नहीं रही। अधिकारियों द्वारा भी इतने बड़े प्रोजेक्ट में लापरवाही बरती गई और एनीकट निर्माण के दौरान ही इसे नजरअंदाज किया गया, जिसका नतीजा यह रहा कि एनीकट अब नाम का रह गया। इस तरह तत्कालीन डॉ. रमन सरकार की बड़ी योजना धरातल पर साकार नहीं हो सकी। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण क्षेत्र के 24 गांव प्यासे के प्यासे ही रह गए।
योजना का स्थान ही बदल दिया?
अपनी चमड़ी बचाने के लिए विभागीय अधिकारियों ने चाल चली और इस योजना के स्थान को ही बदल दिया गया, ताकि न रहे बांस न बजे बांसुरी। सूत्रों के अनुसार इस योजना के तहत आसपास के 24 गांवों को पीने का पानी उपलब्ध कराना था, जिसके तहत आसपास के गांवों में पानी टंकियों का निर्माण भी कराया गया। पानी सप्लाई के लिए पाइप लाइन भी बिछाई गई, लेकिन इस एनीकट के पूरी तरह ढह जाने के कारण अधिकारियों ने अपनी पोल को दबाने के लिए इस योजना की जगह को ही बदल दिया। उसके बाद इसे शासन की आंखों में धूल झोंकते हुए इसे ग्राम तिरगा-झोला एनीकट बनाकर जल प्रदाय योजना तैयार की गई।
शिकायत के बावजूद जांच नहीं हुई
दैनिक दावा की टीम ने मौके का अवलोकन करने पर पाया कि शिवनाथ नदी में एनीकट बनाने के लिए बेस हेतु जमीन तक नहीं खुदाई नहीं की गई है और रेत के ऊपर में ही वाल बना दी गई है। यही वजह रही कि एनीकट की वाल जगह-जगह से टूटी हुई है, जिसे तस्वीर से साफ समझा जा सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि एनीकट बनने के बाद साल भर भी नहीं टिक पाया और पहली बारिश में ही जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गया। इसके अलावा एनीकट के दोनों किनारे में भी बेस मजबूत नहीं है, जिसके कारण दोनों साइड की पींचिंग भी पूरी तरह उखड़ी हुई है। इस मामले की शिकायत आसपास के ग्रामीणों द्वारा कई बार विभागीय अधिकारियों, जिला प्रशासन सहित क्षेत्रीय नेताओं से भी की गई, किंतु आज तक कोई भी मौके पर जांच के लिए नहीं पहुंचा।