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नक्सलियों की पुलिस पार्टी को उड़ाने की थी साजिश, 10 किलो का विस्फोटक बरामद

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पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में पुलिस पार्टी को निशाना बनाने जमीन में दबा कर रखा गया था आईईडी

राजनांदगांव (दावा)। पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के गढ़चिरौरी में नक्सलियों द्वारा पुलिस पार्टी को नुकसान पहुंचाने जमीन के नीचे बड़ी मात्रा में विस्फोटक दबा कर रखा गया था। सर्चिंग पर निकले जवानों की नजर दबा कर रखे विस्फोटक पड़ी और विस्फोटक को सुरक्षित कब्जे में ले कर निष्क्रिय किया गया। पुलिस जवानों की सर्तकता से नक्सलियों के मंसूबे नाकाम हो गए। गौरतलब है कि नक्सलियों द्वारा 28 जुलाई से 3 अगस्त तक नक्सल शहीद दिवस बनाया जाता है। इस दौरान नक्सली किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के फिराक में लगे रहते हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में बैनर-पोस्टर लगाकर दहशत फैलाने की कोशिश भी की जाती है।

जमीन के चार फीट नीचे दबा कर रखा था बम
गढ़चिरौली एसपी शैलेष बलकावड़े ने बताया कि पुलिस पार्टी सोमवार को गढ़चिरौली क्षेत्र के सब-डिवीजन रेजदी सीमा में मौजा रेजदी मौजा कोटमी रोड पर सर्चिग में निकली थी। रोड में नक्सलियों द्वारा पुलिस पार्टी को उड़ाने जमीन के 4 फीट नीचे बड़ी मात्रा में आईईडी दबा कर रखा गया था। सर्चिग में निकले जवानों ने इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को दी। उच्च अधिकारी बम निरोधक दस्ता के साथ मौके पर पहुंचे।

बम निरोधक दस्ता ने निकाला बाहर
इस दौरान नीचे दबा कर रखे आईईडी को सावधानी पूर्वक बाहर निकाला गया। नक्सलियों द्वारा मौके पर नरसंहारों के नाम पर 10 किलो का विस्फोटक दबा कर रखा गया था। एसपी बलकावड़े ने कहा कि गढ़चिरौली पुलिस बल नक्सलियों द्वारा बुलाए गए भारत बंद का विरोध किया। पुलिस के जवान विस्फोट को नाकाम करने में सफल रहे, नक्सलियों को नाकाम कर दिया गया है और पुलिस बल को कामयाबी मिली है। एसपी बलकवडे ने पुलिस सहायता केंद्र रेगाडी और बम डिटेक्टर्स और डेस्ट्रॉयर की पूरी टीम को बधाई देते हुए पुरस्कार की घोषणा की है।

नक्सलियों के विरोध में उतरे ग्रामीण, जलाए पोस्टर
गढ़चिरौली क्षेत्र के ग्रामीण नक्सलियों के खिलाफ कुल कर सामने आ गए है। रविवार को ग्यारपट्टी, गुट्टा, हैदरी और कोठी सहित अन्य गांव के ग्रामीण नक्सलियों के विरोध में उतरे और खिलाफ नारेबाजी करते हुए नक्सलियों के बैनर-पोस्टर जलाए। नागरिकों ने विभिन्न स्थानों पर नक्सल विरोधी बैनर लगाए हैं और आदिवासी लोगों से पूछा है कि उन्हें 28 जुलाई को नक्सल सप्ताह के रूप में क्यों मनाया जाना चाहिए। नक्सलियों ने 28 जुलाई को नक्सल सप्ताह के दौरान नक्सलियों को मार डाला, जलाया और आतंकित किया।,लोगों को डराया जाता है। ऐसे नक्सल सप्ताह का उपयोग क्या है? आदिवासी लोगों के विकास के लिए नक्सलियों ने आज तक क्या किया है? हमने यह भी जोर देकर कहा कि आदिवासी समुदाय द्वारा कोई भी नक्सल सप्ताह नहीं मनाया जाएगा। नक्सलवाद के खिलाफ विरोध करने वाले बैनर लगाए थे।

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