तहसीलदार द्वारा कई जगहों के बैन जमीनों का नियमों को ताक में रखकर प्रमाणीकरण किया गया
राजनांदगांव (दावा)। शहर में अवैध प्लाटिंग और बैन खसरा वाले जमीनों के नियमों को ताक में रखकर प्रमाणीकरण करने का गोरखधंधा जोरों पर चल रहा है। तहसीलदार और राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की जमीन दलालों व कॉलोनाइजरों के साथ मिल कर बैन लगे खसरों का प्रमाणीकरण सहित अन्य नियम विरुद्ध काम करने का खुलासा हो रहा है। चर्चा है कि इस अवैध काम के लिए 5 अंकों में मोटा नावां पीटा जा रहा है।
इन मामलों की कड़ाई के साथ जांच हुई तो इस संबंध में बड़ा खुलासा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इन मामलों में तहसीलदार की भूमिका सबसे अधिक संदेह के घेरे में है। शहर में करीब 400 खसरों पर बैन लगा हुआ है। इसके बाद भी खुछ जगहों के बैन जमीनों का तहसीलदार द्वारा प्रमाणीकरण किया गया है।
किस नियम के तहत हुआ प्रमाणीकरण, जांच का विषय
गौरतलब है कि तहसीलदार द्वारा शहर के पेन्ड्री स्थित खसरा नंबर 658/ 4 एवं नवागांव-ढाबा स्थित खसरा नंबर 128/1, 128/ 1 एम, 39/1 का प्रमाणीकरण किया गया है। जबकि इन खसरों पर अवैध प्लाटिंग होने का खुलासा होने के बाद बैन लगा हुआ है। बैन खसरों का किस आधार पर और किस नियम के तहत प्रमाणीकरण किया गया है यह जांच का विषय है।
तहसीलदार से मिली भगत कर हो रहा काम
अवैध प्लाटिंग का मामला सामने आने के बाद साल भर पहले तात्कालीन कलेक्टर जय प्रकाश मौर्य द्वारा राजस्व महकमा से इसकी जांच कराई गई थी। इसमें शहर के विभिन्न जगहों से करीब 400 खसरों पर अवैध प्लाटिंग का मामला सामने आने के बाद कलेक्टर मौर्य ने इन खसरों के नामांकण सहित खरीदी बिक्री पर रोक लगाई थी। कलेक्टर मौर्य के तबादले के बाद तहसीलदार से मिली भगत कर जमीन दलाल सहित कॉलोनाइजरों द्वारा फिर से अवैध प्लाटिंग सहित बैन जमीनों का प्रमाणीकरण किया जा रहा है।
शहर के इन जगहों के 400 खसरों पर है बैन
साल भर पहले तात्कालीन कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य द्वारा शहर के ढाबा क्षेत्र के 43 खसरों, मोतीपुर क्षेत्र के 17, नवागांव क्षेत्र के 37, पेन्ड्री क्षेत्र के 30, रेवाडीह क्षेत्र के करीब 75, कौरिनभाठा क्षेत्र के 36, चिखली क्षेत्र के 11, नंदई क्षेत्र के 28, लखोली क्षेत्र के 30, कन्हारपुरी क्षेत्र के 10, मोहारा के 10 और हल्दी के 23 सहित अन्य जगहों के खसरों के खरीदी बिक्री और प्रमाणीकरण पर बैन लगाया था। बावजूद इसके कई जमीनों का प्रमाणीकरण किया जा चुका है।