पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के बाद बालोद जिले में बर्ड फ्लू की दस्तक
राजनांदगांव(दावा)। पड़ोसी जिले बालोद में बर्ड फ्लू से दर्जनभर कौओं की मौत होने का मामला सामने आया है। पड़ोसी जिला में संक्रमण के बाद राजनांदगांव जिला में भी हाईअलर्ट जारी किया गया है। राज्य सरकार से मिले गाईडलाईन और सुरक्षा संबंधी निर्देशों के बाद सरहदी गांवों और रास्तों पर प्रशासन अतिरिक्त चौकसी बरत रहा है। इससे पहले पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में बर्ड फ्लू की दस्तक की जानकारी सामने आई थी।
बताया जाता है कि मध्यप्रदेश से के बाद पड़ोसी राज्य बालोद में बर्ड फ्लू का मामला सामने आने के बाद जिले में प्रवेश वाले रास्तों में चौकसी बढ़ा दी गई है। मध्यप्रदेश के बाद बालोद में बर्ड फ्लू के चलते पक्षियों की मौत होने की पुष्टि हुई है। राजनांदगांव जिले के एक बड़ा हिस्सा बालोद की सीमा से जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि बर्ड फ्लू के खतरे से निपटने के लिए प्रशासन ने वन और स्वास्थ्य महकमे को संयुक्त रूप से ऐहतियात बरतने का निर्देश दिया है।
बालोद के कई रास्तों से जुड़ा है जिला
मध्यप्रदेश से राजनांदगांव जिले में दाखिल होने के लिए लांजी और साल्हेवारा प्रमुख मार्ग है। वहीं बालोद जिला से अर्जुंदा के रास्ते सुरगी और दूसरी छोर से देवरी से कई रास्ते राजनांदगांव जिले से जुड़े हुए हैं। कोराना काल की मुसीबत से जहां इंसान पहले से ही जीवन-मृत्यु के लिए संघर्ष कर रहा है, वही बर्ड फ्लू पक्षियों पर कहर ढा रहा है।
छुरिया में बर्ड फ्लू से कौआ की मौत?
इधर छुरिया में भी आज एक कौआ की मौत हो गई। इस घटना को लेकर छुरिया सहित क्षेत्र में जनचर्चा सरगर्म है कि कौए की मौत यदि बर्डफ्लू के कारण हुई होगी तो क्या इससे यह मान लिया जाए कि क्षेत्र में भी बर्ड फ्लू फैल रहा है? बताया गया है कि आज छुरिया के रेस्ट हाऊस परिसर में एक कौआ मृत पड़ा मिला। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मृत कौआ उड़ते हुए आ रहा था कि अचानक वह गिर गया और तत्काल उसकी मौत हो गई। इस घटना की खबर नगर सहित आसपास में तेजी से फैल गई और मौके पर लोगों की कुछ देर तक आवाजाही भी बढ़ी रही।
अप्रवासी पक्षियों से बर्ड फ्लू का फैलाव
हर साल देश में बर्ड फ्लू से पक्षियों के मौत होने की बढ़ती समस्या में अप्रवासी पक्षियों से संक्रमण होना एक प्रमुख वजह मानी गई है। हर साल सर्द मौसम में सायबेरिया और दूसरे बर्फीले द्वीप के पक्षी मारी संख्या में भारत में अस्थाई रूप से पहुंचते हैं। बताया जाता है कि विदेशी की तुलना में भारत की सर्दी अप्रवासी पक्षियों के लिए अनुकूल मानी जाती है। बताया जाता है कि विदेशी पक्षियों के भारत आने के बाद बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ता है। इन पक्षियों के संपर्क में आने के कारण ही कौओं और दूसरी चिडिय़ा की संक्रमित होकर मौत हो जाती है। बर्ड फ्लू के दौरान पोल्ट्री जगत को भी शक की निगाह से देखा जाता है कि जबकि देश में चिकन और अंडे पकाने के लिए 100 डिग्री तापमान में पानी में उबाला जाता है। इसी स्थिति में चिकन-अंडे में किसी भी वायरस का जीवित रहना संभव नहीं है। बताया जाता है कि पोल्ट्री के चिकन और अंडे खानपान के लिहाज स्वास्थ्यवर्धक है।
पक्षियों के जरिए इंसानों तक पहुंच सकता है बर्ड फ्लू
जानकारों की माने तो बर्ड फ्लू पक्षियों के जरिए इंसानों तक पहुंच सकता है। इस बीमारी के वायरस से तेज संक्रमण फैलता है। बताया जाता है कि पोल्ट्री फार्म में भी प्रशासन ने स्वास्थ्य टीम को नजर रखने का निर्देश दिया है। इस संबंध में डीएफओं बीपी सिंह ने बताया कि वन क्षेत्रों में अमले को सतर्क रहने के निर्देश दिए है। जिले में अब तक बर्ड फ्लू से पक्षियों की मौत का एक भी मामला सामने नहीं आया है। सावधानी के साथ सीमा पर नजर रखी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने भी सीमा पर कार्यरत कर्मियों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया है।