अभी फास्टैग लाइन और कैश लाइन दोनों का ही शुल्क सामान है
राजनांदगांव (दावा)। लॉकडाऊन समाप्त होने और कोरोना वैक्सीनेशन की तैयारी के साथ ही पुराने नियमों पर कार्रवाई फिर शुरु कर दी गई है। टोल नाकों से गुजरने के लिए वाहनों में फास्टैंग 1 जनवरी से अनिवार्य किया गया था। लेकिन अब यह तारीख बढ़ा कर 15 फरवरी की गई है। एजेंसियों ने साफ किया है कि इस तारीख के बाद गाडिय़ों में फास्टैंग नहीं होने पर कैश लाइन में दोगुना टोल वसूला जाएगा।
हालांकि यह नियम देशभर में लागू किया जाने वाला है। अभी फास्टैग लाइन और कैश लाइन दोनो का ही शुल्क सामान है। सरकार टोल शुल्क में डिजिटल और आईटी आधारित पेमेंट को बढ़ावा देने के उदेश्य से इन नियमों की अनिवार्यता पर जोर दे रही है।
सरकार के केन्द्रीय मोटर वाहन नियम (सीएमवीआर) 1989 में संशोधन कर 15 फरवरी की नई तारीख तय की है। यहीं नहीं थर्ड पार्टी इंश्योरेंस लेने की दशा में फास्टैग आईडी की जरुरत पड़ेगी। अफसरों के मुताबिक फास्टैग फिट होने के बाद ही ट्रांसपोर्ट वाहनों के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट का रिनीवल होगा। नेशनल परमिट व्हीकल्स (एनपीबी) के लिए फास्टैग की अनिवार्यता 1 अक्टूबर 2019 से शुरु की गई है। फास्टैग स्टीकर को आफलाइन या आनलाइन खरीदा जा सकता है। इसके लिए बैंक की फास्टैग एप्लिकेशन वेबसाइड पर डीटेल देनी होती है। फास्टैग एकाउंट बन जाने के बाद इसे मोबाइल एप से भी कंट्रोल कर सकते हैं।
ऐसे काम करता है फास्टैग
गाड़ी पर फास्टैग लगा हो तो टोल प्लाजा पर लंबी लाइन से छूटकारा मिलता है। और समय भी बचता है। यह आटोमेटिक पेमेंट मोड है। फास्टैग एक रेडियो फ्रिक्वेंसी आइर्डेटिफिकेशन टैग है। यह गाड़ी के विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है और बैंक अकाउंट या नैशनल के पेमेंट वॉलेट से लिंक रहता है। गाड़ी जैसे ही नाके पर पहुंचती है, वहां लगे सेंसर आइडेेंटिफाई कर लेती है और शुल्क कट जाता है।