बारदाना संकट और परिवहन की समस्या से खरीदी केन्द्रों में स्थिति बदतर
राजनांदगांव (दावा)। समर्थन मूल्य में धान खरीदी केन्द्रों में अंतिम चरण में व्यवस्था की स्थिति बहुत ही गंभीर होती जा रही है। जिले के 62 केन्द्रों में धान का उठाव नहीं होने से बफर लिमिट पार हो गया है और परिवहन नहीं होने से बफर लिमिट पार है। वहीं खरीदी में सिर्फ 8 दिन का समय शेष है और पंजीकृत किसानों में 25 हजार किसान अब तक धान नहीं बेचे हैं। ऐसे में इन 8 दिनों में 25 हजार किसानों का धान खरीदी कर पाना मुश्किल है। शासन-प्रशासन की अनदेखी और अव्यवस्था के चलते सैकड़ों किसान इस साल धान बेचने से वंचित रह सकते हैं। जिले के समर्थन मूल्य में धान खरीदी केन्द्रों में अव्यवस्था की वजह से किसान धान नहीं बेच पा रहे है। धान खरीदी के लिए सिर्फ 8 दिन का समय बचा हुआ है। जबकि 25 हजार से अधिक किसान अभी अपना उपज नहीं बेचे हैं। खरीदी केन्द्रों में जो हालात है इससे इन 8 दिनों में 25 हजार किसानों का धान खरीदी कर पाना असंभव है।
टोकन कटने के 3 से 4 दिन बाद हो रही खरीदी
खरीदी केन्द्रों से परिवहन नहीं होने से धान रखने जगह नहीं है। ऐसी स्थिति में धान बेचने पहुच रहे किसानों को टोकन लेने के तिथि के तीन से 4 दिन बाद धान बेच पा रहे हैं। किसान जिस दिन का टोकन है उस दिन धान लेकर पहुंच रहे, लेकिन केन्द्रों में जगह नहीं होने से उनका नंबर तीन से चार दिन बाद लग रहा है। ऐसे में बचे 8 दिन में 25 हजार किसानों का धान खरीदी कर पाना संभव नहीं है। हालांकि सहकारी समिति प्रबंधन द्वारा सभी किसानों का धान खरीदी करने की बात कही जा रही है।
1 लाख 97 हजार किसानों का है पंजीयन
समर्थन मूल्य में धान बेचने इस साल 1 लाख 97 हजार किसानों ने अपना पंजीयन कराया है। अब तक जिले में 1 लाख 72 हजार 731 किसानों ने ही धान बेचा है। यानि करीब 25 हजार किसान धान बेचने बचे हुए है। समर्थन मूल्य में धान की खरीदी 31 जनवरी तक ही किया जाना है। शनिवार व रविवार को छुट्टी की वजह से खरीदी नहीं होगी। ऐसे हालात में जिले के सैकड़ों किसान धान नहीं बेच पाऐंगे।
इन केन्द्रों में बफर लिमिट पार
जिले के करीब 62 केन्द्रों में परिवहन की समस्या से बफर लिमिट पार हो गया है। इसमें मेढ़ा, सोमनी, सिंघोला, मोहारा, गठुला, पनियोजोब, बोरतलाव, ठाकुरटोला,रामाटोला, लालबहादुर नगर, अछोली, ढ़ारा, कोलिहापुरी, रंगकठेरा, खुर्सीपार, कनेरी, मुढ़पार, मुसरा, बेलगांव, कसारी जैसे केंद्रों में धान रखने जगह नहीं है। बताया जा रहा है कि इन केंद्रों में बमुश्किल दो दिन ही खरीदी हो पाएगी।