जीवन में सफलता और असफलता, सुख और दुख लगा रहता है लेकिन अक्सर देखा गया है कि जो लोग गरीब से अमीर बन जाते हैं या जो लोग सफलता का आसमान छू लेते हैं उनमें घमंड और अहंकार आ ही जाता है भले ही वह किसी भी रूप में हो। जब व्यक्ति में घमंड और अहंकार आता है तो वह तीन तरह के कार्य करता है।
1. अपनों को भूल जाता है : व्यक्ति सफल होता है अकेले अपने दम पर नहीं, बल्कि अपने परिवार, रिश्तेदार या किसी मित्र के सहयोग से वह सफल होता या अमीर बन जाता है। परंतु सफलता हासिल करने के बाद वह अपनों को भूल जाता है। वह यह नहीं समझ पाता है कि ऊंचाइयां छूने वाला एक दिन नीचे जरूर गिरता है। जब व्यक्ति ऊपर जाता है तो उसके साथी ही उसका साथ देते हैं लेकिन ऊपर जाकर वह अपने साथियों को भूलकर उन्हें क्षुद्र या हिन समझता है। फिर जब वह नीचे गिरता है तो उसका सामना उन्हीं साथियों से होता है जिन्होंने कभी उसकी ऊपर जाने में मदद की थी। दूसरा यह कि आज जो तुम हो कल मैं बन जाऊंगा और कल मैं जो था आज तुम बन जाओगे। इसलिए अहंकार करने वाला यह चक्र कभी समझ नहीं पाता है।
2. बन जाता है प्रवचनकार : सफल व्यक्ति या अमीर व्यक्ति खुद को ज्ञानी भी समझने लगा है या कि यह भी कह सकते हैं कि मूर्ख लोग उसे ज्ञानी, बुद्धिमान समझकर भी आदर देने लगते हैं। ऐसे में वह व्यक्ति हर कहीं बगैर मांगे ही सलाह और समझाइश तो देता ही साथ ही वह कई जगह प्रवचनकार की मुद्रा में ही हो जाता है। ज्ञान भले ही ना हो लेकिन लोग उसकी फालतू की बात भी ध्यान से सुनते हैं और हर बात का समर्थन भी करते हैं। यदि आप भी सफल होकर ये सभी कार्य कर रहे हैं तो जरा सतर्क हो जाएं। हां आप सचमुच ज्ञानी है तो कोई बात नहीं।
3. बुराइयों की ओर होता है आकर्षित, बन जाता है पाखंडी : नया-नया अमीर या सफल आदमी हर उस बुराई की ओर आकर्षित होता है जो रुपयों के दम पर आसानी से हासिल की जा सकती है। वह गोवा, थाईलैंड और मालदीव जैसी जगह पर जाकर अपनी सफलता या अमीरी का प्रदर्शन करता है। वह स्टेटस मेंटेन करने के लिए कई तरह के पाखंड अपनाता है। वह खानदानी अमीरों की नकल तो करता ही है साथ ही पश्चिमी सभ्यता का बेहतरीन प्रदर्शन भी करता है। आप कल्पना कर सकते हैं कि वह क्या क्या कर सकता है या करना चाहता है।