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लोकसभा में उठा महाराष्ट्र में 100 करोड़ की वसूली का मामला, सीएम और गृहमंत्री के इस्तीफे की उठी मांग

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नई दिल्ली। लोकसभा में भाजपा सदस्यों ने महाराष्ट्र के एक पुलिस अधिकारी द्वारा राज्य के गृहमंत्री के खिलाफ लगाए गए आरोपों का मुद्दा सोमवार को उठाया और इस मामले में केंद्रीय एजेंसियों से जांच कराने तथा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के इस्तीफे की मांग की। शून्यकाल के दौरान भाजपा सांसदों ने जहां इसे अत्यंत गंभीर मामला बताते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया, वहीं शिवसेना और कांग्रेस ने केंद्र पर महाराष्ट्र सरकार को गिराने का प्रयास करने का इल्जाम लगाया।

इससे पहले प्रश्नकाल के दौरान यह मुद्दा उठने पर वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि एक बात तो स्पष्ट है कि महाराष्ट्र में वसूली को लेकर सदस्यों ने चिंता व्यक्त की है और इससे सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि देशभर के सांसद चिंतित हैं और इसकी जांच करानी चाहिए। वहां जो कुछ हुआ, वह काफी गंभीर मामला है और यह छोटा-मोटा आरोप नहीं है बल्कि 100 करोड़ रुपए की वसूली का आरोप है। उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि इस विषय का पूछे गए प्रश्न से कोई संबंध नहीं है।

वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों के राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर निचले सदन में सरकारी एवं निजी क्षेत्र की कंपनियों के कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व से जुड़े शिवसेना सांसद राहुल शेवाले के पूरक प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे। इस दौरान निर्दलीय नवनीत राणा एवं कुछ अन्य सदस्यों ने महाराष्ट्र के मुद्दे पर टिप्पणी की। मंत्री की टिप्पणी का शिवसेना सदस्यों ने विरोध किया। इस दौरान महाराष्ट्र के भाजपा सदस्यों को भी कुछ कहते देखा गया।

इसके बाद शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए भाजपा के मनोज कोटक ने कहा कि महाराष्ट्र में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर वहां के गृहमंत्री के खिलाफ वसूली संबंधी गंभीर आरोप लगाए हैं और मुख्यमंत्री ने अभी तक इस मामले में एक भी शब्द नहीं बोला। मुंबई से लोकसभा सदस्य कोटक ने दावा किया कि महाराष्ट्र के लोगों में धारणा है कि सरकार का इस्तेमाल व्यापारियों को डराने के लिए हो रहा है तथा इसमें अधिकारियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि इस मामले में सीबीआई जांच होनी चाहिए और महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए।

भाजपा के राकेश सिंह ने कहा कि जब सरकार की जिम्मेदारी जनता के लिए काम करने के बजाय शासकीय और पुलिस अधिकारियों की पदस्थापना में बदल जाए तो यह राज्य का नहीं देश का विषय हो जाता है। उन्होंने कहा कि यह पहली घटना होगी जब किसी राज्य के मुख्यमंत्री उस पुलिस अधिकारी के समर्थन में पत्रकार वार्ता करते हैं जिस पर पुलिस आयुक्त ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में बेमेल गठबंधन की सरकार है और मुख्यमंत्री इस विषय पर मौन हैं।सिंह ने कहा कि राकांपा के वरिष्ठ नेता कल तक इस पूरे मामले को गंभीर बता रहे थे और उन्होंने कार्रवाई की बात की थी लेकिन बाद में उन्होंने कह दिया कि गृहमंत्री का इस्तीफा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कहीं महाराष्ट्र सरकार को यह डर तो नहीं है कि गृहमंत्री यह खुलासा कर देंगे कि वसूली के पैसे का हिस्सा किस-किस को जाता था। उन्होंने मामले में केंद्रीय एजेंसियों से निष्पक्ष जांच कराने की मांग करते हुए कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए।

भाजपा के कपिल पाटिल ने भी कहा कि रविवार सुबह कार्रवाई की बात करने वाले राकांपा के वरिष्ठ नेता शाम तक इससे पल्ला झाड़ने लगे। कहीं इसका यह मतलब तो नहीं कि महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने बोला हो कि मेरा इस्तीफा होगा तो सबके नाम ले लूंगा। शिवसेना के विनायक राउत ने कहा कि पिछले चौदह महीने में कई प्रयास करने के बाद भी भाजपा महाराष्ट्र की महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार को गिराने में विफल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के माध्यम से महाराष्ट्र में सरकार को अस्थिर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। राउत ने कहा कि जिन पुलिस आयुक्त के पत्र की बात हो रही है, उनके खिलाफ भी गंभीर आरोप हैं।

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