Home समाचार कोरोना से छोटे बच्चों के प्रति चौकसी बरतना आवश्यक – डॉ. गांधी

कोरोना से छोटे बच्चों के प्रति चौकसी बरतना आवश्यक – डॉ. गांधी

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रेमडेसिविर को चना-मुर्रा की तरह उपयोग में न लाई जाए…
० संक्रमण से बचाव के लिए वेक्सीनेशन जरूरी

राजनांदगांव(दावा)। शहर के जाने-माने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेन्द्र गांधी ने छोटे-छोटे बच्चों के कोरोना संक्रमण के शिकार होने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस बार कोरोना अपने दूसरे दौर में एक नये स्टे्रन में सामने आया है इससे बच्चे बूढ़े जवान सभी के लिए खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो गई है। उक्त कोरोना संक्रमण इग्लैंड, ब्राजील, साउथ आफ्रीका कहां से आया पता नहीं चल रहा है। इस घातक प्रकार के संक्रमण से शरीर के पूरे अवयव फेलवर होने के समाचार तो नहीं है लेकिन फेफड़े में इसका संक्रमण घर कर मरीज को मौत की नींद सुला देने से नहीं चुक रहा। डॉक्टर गांधी ने कहा कि इन दिनों रेमडेसिविर इजेक्शन लेने की होड़ मची हुई है। इसे चना-मुर्रा की तरह उपयोग में न लाई जाए। रेमडेसिविर अत्यंत गंभीर अवस्था में लगाई जाए। पहले से ही लगा दिये जाने से इसके विपरित परिणाम आ सकते है अत: लोग उक्त इजेक्शन पाने की होड़ से बचे।
एक शिशु रोग विशेषज्ञ होने के नाते डॉ. गांधी ने बताया कि छोटे-छोटे बच्चों व दुध मुंहे शिशुओं में सर्दी, खांसी, बुखार के लक्षण उभर आ रहे है। यही रोग आगे चलकर निमोनिया का रूप धारण कर ले रहा है जो छोटे बच्चों केे लिए खतरनाक सिद्ध हो सकता है। उन्होंने छोटे-छोटे बच्चों को इस संक्रामक रोग से बचाने पालकों को चौकसी बरतना आवश्यक बताया तथा कहा कि छोटे बच्चों को बाहर देर तक न खेलने दे। इस बार यह संक्रमण हवा में घुला हुआ है जो कम इम्युनल सिस्टम वालों पर जल्दी प्रभाव दिखाता है। बच्चे वैसे भी काफी नाजुक होते है अत: बच्चों को बाहर खेलते समय उनके माता-पिता साथ ही रहे तथा ज्यादा देर तक खेलने न दे।
मास्क लगाना जरूरी
डॉक्टर गांधी ने भी आयु वर्ग के लोगों को मास्क लगाना जरूरी बताया तथा पालकों को बच्चों को मास्क लगाए रखने की हिदायत दी। बच्चे खेलते-खेलते धूल व गंदगी से चिपट जाते है ऐसे बच्चों का सैनिटाइज किया जाए। अन्य बच्चों के साथ खेलते समय 2 गज दूरी बनाए रखने पर ध्यान दिया जाए। उन्होंने बताया कि हवा में तैर रहे कोरोना के वायरस नाक, मुंह के माध्यम से शरीर के अन्दर प्रवेश कर जाते है जो कि रोग का कारण बनता है। इसलिए मास्क लगाया जाना जरूरी है। इसी तरह भीड़-भाड़ का अंग न बनते हुए सोशल डिस्टेसिंग बनाए रखना भी बहुत जरूरी है। बार-बार साबून से हाथ धोने व सैनिटाइजर का उपयोग संक्रमण से बचाव के लिए उन्होंने उपयुक्त बताया।
कोरोना टेस्ट व वैक्सीनेशन जरूरी
डॉ. गांधी ने कहा कि लोग कोरोना टेस्ट कराने से बच रहे है। लोगों को विश्वास नहीं हो रहा कि बीमारी हो रही है। इसके लिए यदि जरा सी भी सर्दी खांसी बुखार व सांस लेने में थोड़ी भी दिक्कत आ रही तो जांच बिल्कुल कराए। उन्होंने इसके लिए 4 से 8 दिन के बीच जांच कराने की बात कही ताकि कोरोना होने से बात स्पष्ट हो सके। बेवजह दहशत में न आए। जांच रिपोर्ट पाजीटिव आने पर घर में आइसोलेशन में रहे। सांस लेने में तकलीफ हो तो फैमली डाक्टर की सलाह से घर में ही आक्सीजन गैस सिलेण्डर मंगवाकर उसका उपयोग करे बेवजह कोविन्ड केयर सेन्टर से लेकर अस्पतालों की दौड़ भाग न लगाए। डाक्टर साहब ने लोगों को वैक्सीनेशन कराए जाने की सलाह दी ताकि जान लेवा स्थिति से बचा जा सके।
पाजीटिव माताए बच्चे को दूध पिला सकती है
डॉ. गांधी ने बताया कि कोरोना संक्रमित महिला अपने दूध मुंहे बच्चे को दूध पिला सकती है केवल वही अवस्था में दूध नहीं पिला सकती जब वह एन्टी वायरस दवा फेवी पिरावीर का सेवन कर रही हो। उन्होंने कोरोना संक्रमित बच्चे को पानी अधिक पिलाने तथा सप्लीमेंटरी में स्वास्थ्यवर्धक चीजे खिलाने देने की बात कही। उन्होंने पालकों को ढाई-तीन साल से लोकर आठ-दस, बारह साल के बच्चों को पौस्टिक व स्वास्थ्य वर्धक तथा साफ-सुथरे रूप में सात्विक भोजन देने की सलाह दी। इसमें दूध के साथ तुलसी पत्ता, अदरक, हल्दी आदि डालकर देना स्वास्थ्य के लिए मुफीद बताया। उन्होंने बच्चे, बुढ़े, जवान सभी को इस संक्रमण से बच कर रहने की सलाह दी तथा कहा कि जान है तो जहान है…. जी गए तो पूरे कर लेंगे हर अरमान है।

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