मिलिंग और उठाव कमजोर होने से केंद्रों में धान परिवहन बुरी तरह प्रभावित
राजनांदगांव(दावा)। समर्थन मूल्य में धान खरीदी बंद हुए तीन माह का समय बीत गया है। बावजूद इसके खरीदी केन्द्रों व संग्रहण केन्द्रों से धान का उठाव अब तक नहीं हुआ है। खरीदी व संग्रहण केन्द्रों में अब भी अरबों रुपए का धान पड़ा हुआ है। भीषण गर्मी में एक ओर धान में सूखत आ रही है। वहीं कई क्विंटल धान को चूहे चट कर रहे हैं।
गौरतलब है कि जिले में इस साल रिकार्ड 76 लाख क्विंटल धान की खरीदी हुई थी। मार्कफेड़ से मिली जानकारी के अनुसार 76 लाख क्विंटल में से अब तक सिर्फ 40 लाख क्विंटल धान का ही उठाव हुआ है। खरीदी व संग्रहण केन्द्रों में अब भी 36 लाख क्विंटल धान जाम पड़ा हुआ है।
मार्कफेड़ की अनदेखी से धान की बर्बादी
जिले में इस साल खरीदी के शुरुआत से ही बारदाना से लेकर उठाव को लेकर कई तरह की समस्या सामने आई है और इसका कारण मार्कफेड की अनदेखी है। मार्कफेड द्वारा शुरु से ही खरीदी केन्द्रों से धान का उठाव करने गंभीरता नहीं दिखाई गई। इसकी वजह से कई केन्द्रों में खरीदी के दौरान किसानों को कई समस्याओं से गुरजना पड़ा। केन्द्रों में धान रखने जगह नहीं होने की स्थिति में खरीदी बंद भी करना पड़ा था। खरीदी बंद होने के बाद तीन माह गुजरने के बाद भी केन्द्रों से धान का उठाव नहीं किया जा रहा है।
मिलर्स सिर्फ अरवा चावल उठा रहे
खरीदी बंद होने के तीन माह बाद भी चावल स्टॉकिंग के मामले में प्रशासनिक व्यवस्था काफी बदतर स्थिति में है। डीएमओ की ओर से अरवा और उसना मिलिंग के लिए 78 मिलर्स से अनुबंध किया गया है, लेकिन मिलर्स द्वारा उसना मिलिंग में गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। मिलर्स सिर्फ अरवा चावल का ही उठाव कर रहे हैं। इसकी वजह से एफसीआई के गोदामों में चावल स्टॉक लक्ष्य के मुताबिक नहीं हुआ है। जिले में कुल 65 राइस मिल पंजीकृत है। जहां मिलिंग होती है। काम की अधिकता को देखते हुए हर साल पड़ोसी जिलों के मिलर्स से अनुबंध किया जाता है, हालांकि इस बार मिलर्स की संख्या कम है, लेकिन जितने मिलर्स से इस बार अनुबंध किया गया है उस हिसाब से मिलिंग का ग्राफ कम ही है।
30 लाख क्विंटल की कस्टम मिलिंग, 6 लाख क्विंटल की नीलामी
डीएमओ सौरभ भारद्वाज ने बताया कि केन्द्रों में बचे हुए 36 लाख क्विंटल में 30 लाख क्विंटल की कस्टम मिलिंग हुई है। वहीं 6 लाख क्विंटल की सरकारी नीलामी हुई है। कस्टम मिलिंग के धान का उठाव करने मिलर्स गंभीरता नहीं दिखा रहे है। वर्तमान में मिलर्स द्वारा लॉकडाऊन के चलते परिवहन और मजदूर नहीं मिलने का हवाला दिया जा रहा है। जिले में इस साल मार्कफेड की अनदेखी से समर्थन मूल्य में धान खरीदी से लेकर केन्द्रों से उठाव तक कई तरह की समस्या सामने आ रही है।