हो सकते हैं ठगी के शिकार, मैसेज फारवर्ड करने से बचें
राजनांदगांव(दावा)। विगत कुछ दिनों से सोशल मीडिया में बच्चे गोद देने संबंधी वायरल हो रहे मैसेज से बचने की बात बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य शरद श्रीवास्तव ने कही है। सोशल मीडिया में वायरल हो रहे मैसेज में कहा जा रहा है कि कोरोना के कारण माता-पिता की मौत के बाद बच्चे अनाथ हो गए हैं, जिन्हें गोद दिया जाना है।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य और सांस्कृतिक प्रकोष्ठ भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश सह संयोजक शरद श्रीवास्तव ने फेक करार देते हुए कहा कि इससे लोग ठगी का शिकार हो सकते हैं और चाइल्ड ट्रैफिकिंग में भी फँस सकते हैं। इस तरह के मैसेज आने पर इसकी सूचना चाइल्ड लाइन या बाल कल्याण समिति को दें।
श्रीवास्तव ने बताया कि गोद लेने की लम्बी प्रक्रिया है। वर्तमान में किशोर न्याय (देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 अंतर्गत केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण में ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से ही गोद लिया या दिया जा सकता है जहाँ बच्चे को गोद लेने के लिए अनिवार्य पात्रता व कुछ शर्तों को पूरा करना जरूरी है। कही किसी को कोई संकटग्रस्त बच्चा मिलता भी है तो उसे चाइल्ड लाइन या अन्य माध्यम से बाल कल्याण समिति के सम्मुख प्रस्तुत करना अनिवार्य है। ठगी या परेशानी से बचने के लिए इस तरह के मैसेज को फारवर्ड न करना बेहतर होगा।