राजनांदगांव(दावा)। छत्तीसगढ़ में भाजपा के प्रथम नेता प्रतिपक्ष नंदकुमार साय आज सर्किट हाउस पहुंचे, जहां जिला भाजपा अध्यक्ष मधुसूदन यादव, जिला पंचायत सदस्य राजेश श्यामकर ने सौजन्य भेंट की।
राजनांदगांव(दावा)। भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व वरिष्ठ बीजेपी नेता नंद कुमार साय ने आज पत्रकारों से चर्चा में कहा कि राज्य में नक्सली समस्या का हल नहीं निकल पा रहा है। इस दिशा में राज्य सरकार भी कुछ खास नहीं कर पा रही है। इससे आदिवासी नक्सली को ही अपना सब कुछ समझने लगे हैं और उनके द्वारा भडक़ाए जाने से बंदूक उठाने से पीछे नहीं हट रह रहे हैं।
जिला भाजपा मीडिया प्रभारी अमर ललवानी व पूर्व भाजपा जिला महामंत्री श्रवण गोस्वामी की उपस्थिति में श्री साय ने आदिवासी अंचल बस्तर क्षेत्र के बीजापुर, सुकमा, बाउडर में घटी घटना के प्रति अफसोस जाहिर किया कि कब तक नक्सलियों व पुलिस के बीच मुठभेड़ का खेल चलता रहेगा? निर्दोष आदिवासियों की जानें कब तक जाती रहेगी। सरकार को इस दिशा में कुछ करना चाहिए। नक्सली हमले में पुलिस जवानों के मारे जाने के बावजूद सरकार कुछ नहीं कर पा रही। श्री साय ने इसके स्थाई समाधान के लिए शासन-प्रशासन को नक्सलियां व आदिवासियों के साथ मिल बैठकर चर्चा करने की सलाह देते हुए कहा कि हालांकि इसके पहले कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पहल की थी, लेकिन वह परवान नहीं चढ़ पाया।
श्री साय ने बताया कि बस्तर में हुई घटना के दरयाफ्त के लिए वे स्वयं घटना स्थल पर गये थे, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने उन्हें जाने नहीं दिया। उनके अनुसार उक्त क्षेत्र के आदिवासियों ने सीआरपीएफ पुलिस केम्प लगाए जाने का विरोध किया था। इसके चलते उक्त घटना घटी जिसमें पुलिस की गोली से 3 लोग मारे गये व कुछ घायल हुए जिसमें कृषक व ग्रामवासी भी थे। श्री साय ने कहा कि पुलिस कैम्प लगा कर गांव में लोगों से मुर्गा, दारू, बकरा आदि की मांग करती है। आदिवासी महिलाओं से दुव्र्यवहार की बात बताते हुए कहा कि इस तरह की घटनाओं का नक्सली लाभ उठाते हैं और आदिवासियों को विश्वास में लेकर शासन व पुलिस जवानों के विरोध में उन्हें खड़े करते हैं। उनके हाथों में बंदूकें थमा दी जाती हैं। आखिर यह कब तक चलता रहेगा? यह लम्बे काल खंड से जारी है। इस पर रोक लगनी चाहिए तथा इस समस्या का स्थायी समाधान ढूंढने पहल होनी चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाओं पर रोक लगे। उन्होंने कहा कि वल्र्डवार की स्थिति में समस्या का निदान बैठकर बातचीत से होती है। नक्सली व आदिवासियों की समस्या पर भी शासन व प्रशासन की पहल पर इनके साथ बैठ कर चर्चा की जाने से हल निकल सकता है।
श्री साय ने 15 वर्ष के भाजपा शासन काल में यह प्रयास क्यों नहीं किया गया इस सवाल पर कहा कि हो सकता है कि सही ढंग से प्रयास नहीं किये गये हों। उन्होंने कहा कि आदिवासी खनिज सम्पदा व प्राकृतिक चीजों पर भागीदारी चाहते हैं, उन्हें शेयर धारक बनाया जाना चाहिए। पांचवीं अनुसूची का लाभ भी उन्हें नहीं मिल पा रहा। शासन-प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए। श्री साय ने बताया कि तेलंगाना व हैदराबाद में शांति है। उस पर सोचा जाना चाहिए कि यहां नक्सलियों आदिवासियों के साथ क्या चर्चा हुई? पहले नक्सली समस्या से सरगुजा के बलरामपुर क्षेत्र ज्यादा प्रभावित थे। अब बस्तर क्षेत्र ज्यादा प्रभावित है। इस पर मिल बैठकर काम किये जाने की आवश्यकता है।