राजनांदगांव (दावा)। वन विभाग द्वारा गर्मी के दिनों में वन्य प्राणियों के लिए जंगलों में पेयजल की व्यवस्था करने गंभीरता नहीं दिखा रहा है। वन्य प्राणी पानी की तलाश में रिहायशी क्षेत्रों में पहुंचते हैं और कुत्तों व शिकारियों के हमले से जान गवां रहे हैं।
जानकारी के अनुसार वन विभाग द्वारा जंगल क्षेत्रों में पानी स्टोरेज करने हर साल तटबंध, तालाब व पोखर बनाने लाखों रुपए खर्च किया जाता है। बावजूद इसके जगंलों में वन्य प्राणियों के लिए पानी की व्यवस्था नहीं होने से रिहायशी क्षेत्र में पहुंचते हैं। वन विभाग की अनदेखी की वजह से जंगलों में जलस्रोत का साधन जरुरत के मुताबिक नहीं है।
जंगलों में जलस्रोतों की कमी
राजनांदगांव वन मंडल के अंतर्गत राजनांदगांव, बागनदी, अंबागढ़ चौकी, उत्तर मानपुर, दक्षिण मानपुर व खुज्जी रेंज आते हैं। इनमें से सबसे संवेदनशील रेंज बागनदी है। इस क्षेत्र के जंगल में जलस्रोतों की कमी है। वन विभाग द्वारा हर साल सर्वे करा कर जलस्रोतों का इंतजाम करने का दावा किया जाता है, लेकिन धरातल में सच्चाई कुछ और है।
शिकारी उठा रहे हैं फायदा
जल संकट के बीच प्यास बुझाने के लिए वन्य प्राणी गांव की ओर रूख करते हैं। इसका फायदा उठाते हुए शिकारी वन्य प्राणियों को फांस लेते हैंं। हालांकि स्थानीय स्तर पर मामला दबा दिए जाने की वजह से जिला मुख्यालय में हल्ला नहीं मचता। विभाग के कर्मचारी भी शिकार के मामलों में संलिप्त बताए जा जाते हैं। साल्हेवारा, छुईखदान, बकरकट्टा के जंगलों में अक्सर शिकारियों की सक्रियता की खबरें आती रहती हैं।
भटके हिरण की कुत्तों ने ली जान
तीन दिन पहले साल्हेवारा क्षेत्र में एक हिरण पानी की तलाश में रिहायसी क्षेत्र में पहुंच कर नदी का पानी पी रहा था।
इस दौरान कुत्तों की झुंड ने हिरण पर हमला कर दिया। कुत्तों के हमले से हिरण की मौत हो गई। ऐसी घटना गर्मी के दिनों में हर साल गर्मी के समय सामने आती है। बावजूद इसके वन विभाग लाखों खर्च करने के बाद भी वन्य प्राणियों के लिए जंगलों में पेयजल की व्यवस्था करने में नाकाम साबित हो रहा है। वहीं माह भर पहले मानपुर में भी एक चीतल भटकते हुए बस्ती में पहुंच गया था। उक्त चीतल को कुत्ते दौड़ा रहे थे पर जागरूक लोगों ने उसे बचा लिया था।
पानी का बंदोबस्त करना जरूरी
गर्मी की शुरूआत में ही पानी की व्यवस्था करना जरूरी है। नहीं तो पानी की तलाश में वन्य प्राणी गांवों, कस्बों और शहरों की ओर रूख करेंगे। ऐसे में जंगल में जंगली जानवरों को बचाने व पानी के लिए वन विभाग को उचित कदम उठाने को लेकर अभी तक कोई तत्परता नजर नहीं आई है। ऐसे में कुछ जानवर व अन्य पशु-पक्षी प्यास में ही दम तोड़ देते हैं। वहीं भटकर पशु-पक्षी पानी की तलाश में गांव की ओर आते हैं और उन्हें जान का खतरा बना रहता है।
विभाग की ओर से जंगल क्षेत्र में लगातार नजर रखी जाती है। सभी क्षेत्रों में हर साल वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है।
गुरुनाथन, डीएफओ राजनांदगांव