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समितियों में चूहे चट कर रहे सैकड़ों क्विंटल धान

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जिले के उपार्जन केन्द्रों में अब भी खुले में पड़े हैं करोड़ों रुपए का धान

राजनांदगांव (दावा)। समर्थन मूल्य में धान खरीदी से लेकर परिवहन को लेकर इस साल जिले में कई तरह की समस्या सामने आई है। खरीदी बंद हुए तीन माह का समय बीत रहा है। बावजूद इसके उपार्जन केन्द्रों में लाखों क्विंटल धान जिसकी कीमत करोड़ों रुपए की धान पड़ा हुआ है। उपार्जन केंद्र में पड़े धान बारिश में भीगने के अलावा चूहे भी चट कर रहे हैं। वहीं सूखत का भी खतरा है। ऐसे में समिति प्रबंधकों की परेशानी बढ़ गई है।
मिली जानकारी के अनुसार समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी खत्म होने के बाद भी उपार्जन केंद्रों से धान का स्टाक डंप है। जिले के करीब 40 उपार्जन केंद्रों में 18 लाख से अधिक क्विंटल धान जाम है। उठाव नहीं होने के कारण धान की सुरक्षा नहीं हो रही है। जिले में मानसून दस्तक दे चुकी है। ऐसे मेें केंद्रों में डंप धान भीग कर अंकुरित हो रहा है। कई केंद्रों में डंप धान को कव्हर भी नहीं किया गया है।
मार्कफेड की कार्यप्रणाली शुरु की सुस्त
समर्थन मूल्य में धान खरीदी 31 जनवरी को बंद हुई थी। जिले में इस साल रिकार्ड 72 लाख क्विंटल धान की खरीदी हुई है। खरीदी बंद हुए दो माह का समय बीत रहा है। जिले के उपार्जन केन्द्रों में अब भी करीब 18 लाख क्विंटल से अधिक धान जाम है। मार्कफेड द्वारा धान का उठाव करने गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। ऐसे में धान भीगने के अलावा चूहों द्वारा काफी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। धान को हो रहे नुकसान को लेकर समिति प्रबंधकों की दिक्कतें बढ़ गई है। वहीं उपार्जन केंद्रों में धान का उठाव शुरुआत से ही कमजोर है। खरीदी के दौरान भी धान के परिवहन को लेकर कई आवाजें उठी। समिति प्रभारियों ने भी उठाव नहीं होने से परेशान होकर खरीदी बंद की थी, जिसके बाद भी धान का उठाव खरीदी बंद होने के साथ ही बंद पड़ गया। मिलरों को उठाव के लिए भी निर्देशित किया गया है, लेकिन धान का उठाव करने गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है।
कलेक्टर के निर्देश बाद भी उठाव में तेजी नहीं
जिले के नव पदस्थ कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा द्वारा खरीदी व संग्रहण केन्द्रों में पड़े धान का उठाव करने निर्देशित किया गया था। कलेक्टर के निर्देश बाद मिलर्स व मार्कफेड द्वारा कुछ दिन उठाव में तेजी लाई गई थी। इसके बाद फिर से धान के उठाव गति धीमी हो गई है। मार्कफेड व मिलर्स द्वारा बारिश का मौसम आने के बाद भी धान उठाव करने गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। फिलहाल जिले में करोड़ों रुपए का धान खुले आसमान के नीचे रखा हुआ है और बारिश में भीग कर सडऩे की कगार पर है।

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