रायपुर । धान के बाद अब छत्तीसगढ़ सरकार मक्का भी खुले बाजार में बेच रही है। छत्तीसगढ़ स्टेट सिविल सप्लाई कारपोरेशन ने 2800 टन से ज्यादा मक्का बेचने के लिए टेंडर जारी किया है। इसके लिए पंजीयन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। औपचारिकताएं पूरी होने के बाद 27 जुलाई से आनलाइन बोली लगनी शुरू होगी।
अफसरों ने बताया कि राज्य के करीब 11 जिलों में समर्थन मूल्य पर किसानों से मक्का खरीदी की गई है। ई-नीलामी में टेंडर हासिल करने वालों को खाद्य विभाग के गोदाम से स्वयं के व्यय पर मक्का परिवहन करना होगा।
अफसरों के अनुसार राज्य में इस पर करीब एक लाख 21 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर मक्का बेचने के लिए पंजीयन कराया था। इस वर्ष 1850 रुपये प्रति क्विंटल की दर से प्रति एकड़ 10 क्विंटल खरीदी की गई है। बता दें कि इसी साल सरकार सरप्लस धान भी खुले बाजार में बेचने के लिए ई-टेंडर कर चुकी है।
इधर, कृषि मंत्री रविंद्र चौबे बोले-खाद की आपूर्ति में केंद्र छत्तीसगढ़ के साथ कर रहा भेदभाव
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने खाद के आवंटन में छत्तीसगढ़ के साथ केंद्र द्वारा भेदभाव किए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि ऐसा कर केंद्र सरकार नेशनल क्राइम कर रही है। छत्तीसगढ़ के किसानों को भाजपा अपना दुश्मन क्यों मानती है? चौबे रविवार को कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकारवार्ता ले रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में धान की बोआई शुरू हो गई है, लेकिन जून की एक लाख टन खाद अब तक नहीं पहुंची है। भाजपा शासित राज्यों में खाद की आपूर्ति लगातार की जा रही है, जबकि गैर भाजपा शासित राज्यों के साथ दोहरा रवैया अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से यूरिया, पोटाश, फास्फेट की जून महीने में 12 लाख टन की मांग की थी। केंद्र ने इसका अनुमोदन भी किया।
इसके बाद भी छत्तीसगढ़ को आवंटित खाद नहीं मिल रही है, जबकि किसान देशहित में उत्पादन करते हैं। चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 48 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसल की खेती होती है। 39 लाख हेक्टेयर में केवल धान लिया जाता है। केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ में यूरिया की मांग पूरी नहीं कर रही है। मध्य प्रदेश में 70 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 65 प्रतिशत यूरिया की आपूर्ति की है। इसके विपरीत छत्तीसगढ़ को अब तक केवल 50 प्रतिशत ही यूरिया मिला है।