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आदेश के बाद भी अब तक शुरु नहीं हुई धीरी प्रोजेक्ट में हुए भ्रष्टाचार की जांच

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कांग्रेस नेता जितेन्द्र मुदलियार की शिकायत पर एक माह पहले मंत्रालय से जारी हुआ है जांच का आदेश
राजनांदगांव (दावा)
। धीरी प्रोजेक्ट में हुए भ्रष्टाचार की मंत्रालय से जांच के आदेश आने के बाद भी अब तक विभाग की ओर से किसी तरह की न तो जांच शुरु की गई है और न ही कोई कार्रवाई। जांच व कार्रवाई नहीं होने से दोषी अधिकारियों के हौसले बुलंद हैं। कांग्रेसी नेता व युवा आयोग के अध्यक्ष जितेन्द्र मुदलियार द्वारा प्रोजेक्ट में हुए भ्रष्टाचार की जांच करने मुख्यमंत्री को पत्र जारी किया गया था। श्री मुदलियार की शिकायत पर मंत्रालय से मामले की जांच करने एक माह पहले ही आदेश जारी हुआ है, लेकिन अब तक जांच का अता-पता नहीं है। गौरतलब है कि सोमनी क्षेत्र के गांवों में पानी पहुंचाने लगभग 28 करोड़ रूपये की राशि से बने नलजल योजना में भारी गड़बड़ी की गई है। बिना प्लानिंग के और तकनीकी मापदंड को दरकिनार कर उक्त प्रोजेक्ट को ईरागांव में शिफ्ट किया गया। जबकि यह धीरी में बनना था, जहां एनीकट में पानी ही नहीं रहता और एनीकट का लेवल स्तर नीचे रहता है।

भ्रष्टाचार के कारण योजना हो गई फेल
ऐसी जगह में एनीकट का निर्माण किया गया है और इंटकवेल ऐसी जगह बनाया गया है जो एनीकट से अधिक ऊंचाई पर है एवं लगभग एक किलोमीटर दूर है, जबकि इंटकवेल का निर्माण हमेशा नदी या बांध के उस किनारे पर किया जाता है, जहां हमेशा पानी भरा रहता है। भ्रष्टाचार के चक्कर में विभागीय अधिकारी ठेकेदार से मिलीभगत के चलते 24 गांवों के लोगों को पेयजल एवं निस्तारी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। धीरी नलजल योजना के आसपास जितने भी एनीकट का निर्माण किया गया है, उन सब निमार्णो में दरारें पड़ चुकी है।

ईएनसी ने शुरुआत में ही कर दिया था मना
प्रोजेक्ट को धीरी से ईरा ले जाने का ईएनसी ने शुरुआत में ही विरोध किया था। मिली जानकारी के अनुसार ईएनसी के विरोध बाद भी पीएचई के अधिकारी द्वारा इस प्रोजेक्ट को ईरा में शिफ्ट कर दिया गया। बताया जा रहा है कि योजना को धीरी से ईरा ले जाने में करीब 3 किलोमीटर तक का पाईप लाईन का खर्च बचा होगा। फिलहाल यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। इस मामले की अब तक न तो जांच हुई है और न ही किसी पर कोई कार्रवाई।

मेंटनेस में फूंक दिये फिर से करोड़ों रुपए
योजना फेल होने के बाद क्षेत्र के ग्रामीणों द्वारा चक्काजाम कर प्रदर्शन किया गया था। इसके बाद पीएचई विभाग द्वारा लीपापोती करने फिर से इस मामले में लाखों रुपए फूंका जा रहा है। योजना अभी पूरा भी नहीं हुआ है। बावजूद इसके विभाग द्वारा अंधेरगर्दी करते ठेकेदार को कामप्लेशन सर्टिफिकेट दे दिया गया है। जबकि करार के अनुसार योजना में जो भी गड़बड़ी है उसे ठेकेदार से पूरा कराना है। लेकिन विभाग फिर से सरकारी रुपए का बंदरबाट करने में जुटी है।

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