राजनांदगांव (दावा)। प्रदेश सरकार अपने घोषणा पत्र में शराब बंदी की बात कहकर भी शराब वितरण का कार्य प्रारंभ किए हुए है। राज्य में खुले आम बिक रही शराब को फायदे का धंधा मानते हुए विगत तीन वर्षों से शासकीय नौकरी की राह तकने वाले शिक्षित बेरोजगार हताश होकर शराब बेचने का काम करने मजबूर हो रहे हैं।
ज्ञात हो कि विगत तीन वर्षों से शासकीय नौकरियों में भर्ती नहीं होने से शिक्षित बेरोजगारों में निराशा व्याप्त है। शिक्षित बेरोजगार पुलिस शिक्षा सहित अन्य विभागों में भर्ती के लिए बाट जोह रहे हैं। यहां तक कि दो साल पहले शिक्षक भर्ती में जिन शिक्षकों का चयन हुआ उनकी अब तक नियुक्ति नहीं हुई है। नौकरी के अभाव में खाली हाथ घूम रहे शिक्षित बेरोजगार हताश होकर नशा अपराध की ओर उन्मुख हो रहे हैं। इस संदर्भ में भाजपा शहर उपाध्यक्ष नागेश यदु ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम ज्ञापन सौंप कर पुलिस व अन्य सरकारी नौकरियों में भर्ती किये जाने की मांग की है।
श्री यदु ने बताया कि कांग्रेस सरकार नेअपने घोषणा पत्र में शिक्षित बेरोजगारों को ढाई हजार रूपये प्रतिमाह देने का वादा किया था, जिसे सरकार के ढाई साल पूरे होने के बाद भी पूरा नहीं किया जा रहा है। इससे पैसे के अभाव में शिक्षित बेरोजगार युवा अवांछित समझे जाने वाले कार्य भी करने को मजबूर हो रहे हैं। शिक्षित बेरोजगार युवाओं को किसी प्रकार का रोजगार नौकरी नहीं मिलने से जो युवा पुलिस की वर्दी पहनकर देश और समाज की सेवा करना चाहते थे वह कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन का दंश भोगते हुए आज शराब कोचिया, शराबी, जुआरी, तस्कर आदि आपराधिक कार्य करने मजबूर हो रहे हैं और अपने परिवार, समाज व प्रदेश के अस्तित्व को खतरे में डाल रहे है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल के नाम कलेक्टर को सांैपे गये ज्ञापन में श्री यदु ने कहा कि प्रदेश के युवा विगत दो-तीन वर्षों में दिशाहीन हो गये है। राज्य सरकार शासकीय नौकरियों में भर्ती नहीं कर रही है। पुलिस भर्ती एसआई भर्ती व शिक्षा विभाग के व्यापम भर्ती विगत दो-तीन वर्षों से बंद है। इधर वैश्विक महामारी कोरोना के चलते शिक्षित बेरोजगार और भी बेहाल हो गये है। काम धंधा नहीं मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गई है। नौकरी नहीं मिलने के कारण शिक्षित बेरोजगार युवा दिशाहीन होकर अनैतिक कार्यों से जुडऩे लगे है। नौकरी के अभाव में समाज विरोधी कार्य कर भूलवश अपराधी बन रहे हैं।
श्री यदु ने बताया कि दो वर्ष पूर्व राज्य में १४ हजार पदों पर शिक्षक भर्ती के लिए परीक्षा का आयोजन किया गया था। इस परीक्षा के परिणाम और अन्य औपचारिकताएं दो वर्ष पूर्व ही पूर्ण कर ली गई थी लेकिन आज तक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई। इससे परीक्षा में सफल होने के बाद भी अभ्यर्थी को जीवन यापन हेतु मजदूरी करनी पड़ रही है। कोरोना काल में कईयों को निजी स्कूलों की नौकरी से निकाल दिया गया है इससे निष्काषित शिक्षक भी बेरोजगार हो गये है। नौकरी हाथ में नहीं होने के कारण शिक्षित बेरोजगार युवा दर-दर को भटक रहे हैं। ऐसे में उन्हें अपना पेट व परिवार को चलाने शराब कोचिये का काम करना पड़ रहा है। अपनी चुनावी घोषणा पत्र में शिक्षित बेरोजगारों को ढाई हजार रूपये मासिक भत्ता देने का वायदा करने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सत्ता में काबिज होने के बाद इसे पूरी तरह भूला दिया है। इससे शिक्षित बेरोजगारों में निराशा का माहौल है।