Home छत्तीसगढ़ प्रदेश को लघु वनोपज की खरीदी हेतु मिले 11 राष्ट्रीय पुरस्कार-सीएम बघेल

प्रदेश को लघु वनोपज की खरीदी हेतु मिले 11 राष्ट्रीय पुरस्कार-सीएम बघेल

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राजनांदगांव(दावा)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की रेडियो वार्ता लोकवाणी की 20वीं कड़ी को आज राजनांदगांव नगर निगम तथा जिले के सभी विकासखंडों में नागरिकों ने तन्मयतापूर्वक सुना। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोकवाणी में आदिवासी अंचलों की अपेक्षाएं और विकास विषय पर बात की। इस दौरान उन्होंने प्रदेशवासियों को पारम्परिक हरेली तिहार की बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
उन्होंने कहा कि ढाई वर्षों में प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों के विकास के लिए 29 नई तहसीले और 4 नए अनुविभाग गठित किए गए हंै। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 139 वनधन विकास केन्द्र स्थापित किए गए है, जिनमें से 50 केन्द्रों में वनोपजों का प्रसंस्करण भी हो रहा है। इस कार्य में लगभग 18 हजार लोगों को रोजगार मिला है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड के नाम से 121 उत्पादों की मार्केटिंग की जा रही है। भारत सरकार की संस्था ट्रायफेड द्वारा 6 अगस्त को छत्तीसगढ़ को लघु वनोपज की खरीदी तथा इससे संबंधित अन्य व्यवस्थाओं के लिए 11 राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए गए। यह हमारे आदिवासी अंचलों के साथ पूरे प्रदेश के लिए भी गौरव का विषय है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि आदिवासी अंचलों में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार सबसे बड़ी जरूरत है। इस दिशा में प्राथमिकता से काम शुरू किया गया है। स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरतों को डीएमएफ मद से पूरी करने के लिए आवश्यक नियम बनाए गए हैं। सीएसआर और अन्य मदों की राशि भी इन्हीं प्राथमिकताओं के लिए खर्च करने की रणनीति अपनाई है। राज्य के सुदूर अंचल में ग्रामीणों को सहजता से स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने हमने मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना शुरू की है। इससे अब दूरस्थ अंचलों में रहने वाले आदिवासियों का उपचार हाट-बाजारों में होने लगा है। इसका लाभ 11 लाख से अधिक लोगों को मिल चुका है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में पांच वर्ष से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार थे और 15 से 49 वर्ष तक की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया अर्थात खून की कमी से ग्रस्त थीं। इसे ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान प्रारंभ किया गया, जिसमें डीएमएफ और जनभागीदारी के योगदान को बढ़ावा दिया। योजना के माध्यम से बच्चों को दूध, अण्डा, स्थानीय प्रचलन के अनुसार पौष्टिक आहार दिए गए, जिसके कारण कुपोषण और एनीमिया की दर में तेजी से कमी आ रही है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि कोरोना काल में पढ़ाई तुंहर पारा अभियान के तहत लाखों बच्चों को उनके गांव-घर-मोहल्लों में खुले स्थानों पर शिक्षा दी गई। प्रारंभिक कक्षाओं में बच्चों को मातृभाषा में समझाना अधिक आसान होता है, इसलिए 20 स्थानीय बोली-भाषाओं में पुस्तकें छपवाई गई, जिसका लाभ आदिवासी अंचलों में बच्चों को मिला। बीस साल बाद प्रदेश में 14 हजार 580 शिक्षक-शिक्षिकाओं की नियुक्ति आदेश दिए गए हैं। इससे आदिवासी अंचलों में भी शिक्षकों की कमी स्थायी रूप से दूर होगी।
श्री बघेल की रेडियो वार्ता लोकवाणी को नगर निगम के सभाकक्ष में जनप्रतिनिधियों ने सुना। इस अवसर पर महापौर श्रीमती हेमा देशमुख, अध्यक्ष नगर पालिक निगम हरिनारायण धकेता एवं विनय झा, गणेश पवार, मधुकर बंजारी, कुलबीर छाबड़ा, श्रीमती पूर्णिमा नागदेवे, श्रीमती सरिता प्रजापति, सिद्धार्थ डोंगरे, हेतु सोनी, मामराज अग्रवाल, एजाजुर रहमान, श्रीमती संगीता बंजारे, भागचंद साहू, श्रीकिशन खण्डेलवाल, सुदेश सिंह, अशोक चौबे सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

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