राजनांदगांव (दावा)। छोटे किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने व उन्हें मजबूत बनाने राज्य शासन द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है। राज्य सरकार द्वारा छोटे किसानों को उनके जमीन पर तालाब की खोदाई कर मछली पालन करने के लिए नील क्रांति योजना के तहत सहायता प्रदान की जा रही है।
इस योजना के तहत हितग्राही किसानों को तालाब खोदाई व मछली पालन के लिए 50 से 60 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार मतस्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा हितग्राही किसानों से अनुदान की राशि के लिए कमीशन लिया जा रहा है। जो किसान कमीशन नहीं दे रहे हैं उन्हें अनुदान राशि के चेक के लिए महीनों घुमाया जा रहा है।
कर्ज लेकर तालाब की खोदाई
हितग्राही किसानों ने बताया कि नील क्रांति योजना के तहत मछली पालन करने के लिए स्वंय के जमीन पर तालाब की खोदाई कराई गई है। इसके बाद मतस्य विभाग द्वारा बीच उपलब्ध कराया जाएगा। हितग्राहियों को योजना के तहत तालाब खोदाई व मछली पालन के लिए स्वंय की राशि पहले लगानी पड़ रही है। गरीब किसानों द्वारा योजना के लिए बैंकों से कर्ज लिया गया है। तालाब खोदाई का काम पूरा होने के बाद हितग्राहियों को 50 से 60 प्रतिशत तक अनुदान के साथ राशि मिलेगी।
मौका मुआयना करने चार पहिया वाहन की मांग
हितग्राही यशवंत कन्नौजे ने बताया कि वह बहरापुर गांव में अपनी पत्नी के नाम पर स्वंय के जमीन पर नील क्रांती योजना के तहत खेत में तालाब की खोदाई कराया है। तालाब का निरीक्षण करने के लिए उसने मतस्य विभाग के इंजीनियर से संपर्क किया। हितग्राही कन्नौजे ने बताया कि इंजीनियर द्वारा निरीक्षण करने आने के लिए चार पहिया वाहन की मांग की गई। वाहन की व्यवस्था करने पर इंजीनियर मौके पर निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने बताया कि इंजीनियरों द्वारा वाहन की व्यवस्था के अलावा नाश्ता-पानी सहित अन्य व्यवस्था के लिए बोला गया।
चेक के लिए 15 से 20 प्रतिशत राशि की मांग
हितग्राही नीलाम्बर वर्मा ने बताया कि उसने नील क्रांति योजना के तहत मछली पालन करने अपने खेत में तालाब की खोदाई कराया है। विभाग के अधिकारी मौके पर वाहन का साधन उपलब्ध कराने के बाद मुआयना के लिए पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि तालाब बन कर तैयार हो गया है। वह अनुदान का चेक लेने मतस्य विभाग पहुंचा तो वहां के अधिकारी -कर्मचारियों द्वारा 15 से 20 प्रतिशत कमीशन की मांग की गई। उन्होंने बताया कि कमीशन नहीं देने पर उसे चेक के लिए बार-बार दफ्तर का चक्कर लगवाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अनुदान का चेक लेने वह पिछले चार पांच माह से मतस्य विभाग का चक्कर लगा रहा है।
योजनाओं पर विभागीय अधिकारी लगा रहे बट्टा
शासन-प्रशासन द्वारा छोटे किसानों को मजबूत बनाने के लिए धरातल पर कई ऐसी योजनाएं लेकर आती है, जिससे छोटे किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो सके, लेकिन शासन की इन योजनाओं पर संबंधित विभाग के प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी मोटी कमीशन का खेल खेलने से बाज नहीं आते, इस दौरान छोटे किसान दोनों की तरफ से अपने आप को ठगा महसूस करता है। जिले में मत्स्य विभाग द्वारा शासन की नील क्रांति योजना के अंतर्गत छोटे कृषकों के लिए एक संजीवनी स्वरूप योजना लागू की गई। जिसमें छोटे कृषकों को अपने खेत में एक तालाब बनवाना है जिसमें विभाग मछली बीज एवं तालाब की खुदाई हेतु 50 से 60 प्रतिशत तक सब्सिडी देने का प्रावधान है लेकिन जब किसान योजना का लाभ उठाने कर्ज लेकर तालाब खुदवाता है, और विभाग के पास तलाब खुदवाये जाने की जानकारी देता है तो विभाग के अधिकारी और कर्मचारी निरीक्षण तो कर लेते हैं, लेकिन सब्सिडी का चेक देने के लिए सब्सिडी राशि का 15 से 20 प्रतिशत कमीशन की मांग करते हैं।