बांधाबाजार :— पुरुष प्रधान भारत देश में महिलाओं को अहमियत देवी स्वरूपा या घर के चूल्हा में काम करने वाली सामान्य महिला के रूप में देखा जाता है । इस सोच और परम्परा में बदलाव लाने के लिए छत्तीसगढ़ शासन ,प्रशासन, संस्था ,संगठन ने अनेक योजना परियोजना का संचालन किया जा रहा है ।लेकिन यह पहल चंद दिनों के बाद विलुप्त सी हो जा रही है । क्योंकि योजना ,परियोजना धन बल पर टिकाऊ नही होती है ।
इसके लिए समुदाय का मन का मनोबल अधिक टिकाऊ होता है । इसी सोच के साथ छत्तीसगढ़ राज्य के अंतिम छोर में स्थित वनांचल का दुर्गम आदिवासी बाहुल्य ग्राम निगनचुवा ग्राम पंचायत पेंदलकुही, तहसील अम्बागढ़ चौकी जिला राजनांदगांव का छोटा सा गांव जिसमे 60 गोड जाति के आदिवासी परिवार निवासरत है । इस गांव की कम पढ़ी लिखी महिलाओं की सोच ने राज्य के सभी महिलाओं केआत्म सम्मान के हित में अनिवार्य महिला ग्राम सभा का आयोजन 2 अक्टूबर को राष्ट्र पिता महात्मा गांधी के जयंती के दिन आयोजित किये है।इस आयोजन से राज्य शासन और प्रशासन को ध्यानाकर्षण करने का कार्य किया गया है ।
यह राज्य के सभी महिलाओं के हित में स्वागत योग्य पहल होगी । दरअसल यह गांव महाराष्ट्र सीमा से एक किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ राज्य का आखरी गांव है ।इस गांव का रोटी बेटी का सम्बन्ध महाराष्ट्र राज्य से है । निगंनचुवा गांव की आदिवासी महिलाओं ने एकजुट होकर 2 अकटुबर को पूर्ण कोरम के साथ निर्णय लिया है कि प्रति वर्ष 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला अधिकार दिवस और 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर महिला ग्राम सभा का आयोजन पुरे छत्तीसगढ़ राज्य में करने का प्रस्ताव पास किया गया है ।
तथा इस दिशा में राज्य शासन के माननीय मंत्री महोदय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय छत्तीसगढ़ शासन और मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन को रायपुर को मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत अम्बागढ़ चौकी के मार्फ़त से ज्ञापन सौपा गया है ।अपने प्रस्ताव में शासन से मांग किया गया है कि इस महिला ग्रामसभा में केवल महिलाओं की सहभागिता होगी तथा शासन के ओर से भी अधिकृत अधिकारी भी केवल महिला होगी ।इस ग्राम सभा में केवल महिला की समस्या और उनके विकासात्मक कार्य पर चर्चा होगी ।यह महिलाओं का स्वतन्त्र मंच होगा ।
महिलाए अपने खुले विचारों से अपने बात रखेगी ।जो की उनकी मांग पर नीतिगत रूप से चर्चा के उपरांत निर्णय प्रक्रिया में लाकर संवैधानिक मान्यता के साथ कार्यवाही पंजी में दर्ज होगी तथा प्रशासन के पास स्वीकृति हेतु अग्रेषित होगी । गांव की महिला नेतृत्व कर्ता श्रीमती सरिता बाई कोमरे और श्रीमती कुमारी बाई मुलेटी से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य शासन द्वारा हर क्षेत्र में महिलाओं के लिए महिला आयोग, महिला एवं बाल विकास विभाग ,महिला मंडल ,महिला स्वयं सहायता समूह , हर विभाग में महिला आरक्षण, राजनीति में आरक्षण महिला कोष ,महिला अत्याचार अधिनियम आदि कानून और योजना संचालित हो रही है । इसी तरह राज्य में भी स्वतन्त्र महिला ग्राम सभा का आयोजन उतना ही अनिवार्य है । सरकार के निर्णय प्रक्रिया में महिला को बैठने, खाने ,सोने , टॉयलेट, बाथ रुम आदि की स्वतंत्र व्यवस्था किया है लेकिन स्वतंत्र महिला ग्रामसभा का आयोजन पर धयान अभी तक नही गया है यह गंभीर और चिंतनीय समस्या है। इस महिला ग्राम सभा ने अपने निर्णय प्रक्रिया में ग्राम सभा के प्रस्ताव में नीतिगत मांग हेतु शासन से अलग बजट कोष बनाने की मांग रखा है । विदित हो क़ि इस आयोजन से महिलाओं को व्यक्तिगत और सामुदायिक बोलने कहने और बात रखने की क्षमता वर्धन होगी । महिला संगठित होकर हर समस्या का नेतृत्व करने में सफल होगी ।उनके अस्तित्व, आत्म सम्मान,और उनके अधिकार सवैधानिक पटल पर विशेष मान्यता के साथ इस ग्राम सभा के आयोजन से संरक्षित होंगे । उनकी अपनी समस्या खुलकर सामने आएगी जो पुरुषों के समक्ष प्रकट नही हो पाती है उस समस्या को जानने समझने के लिए अवसर प्राप्त होगी । जिसके अनुरूप कार्यवाही और कार्य योजना बनाने में मदद होगी । अंचल में कार्यरत स्थानीय संस्था समग्र सृष्टि समाज सेवी संस्था ग्राम दककोटोला जिला राजनांदगांव जो विगत पाच वर्षो से महिला एवं बाल विकास पर कार्य कर रही है ।जिसके कार्य क्षेत्र गांव का है । उक्त संस्था के विभिन्न प्रशिक्षणों से इस गांव की महिलाओं में नई उपज और सोच का परिणाम है जो महिला ग्राम सभा आयोजन करने का निर्णय लेकर शासन प्रशासन से मांग किये है । संस्था की सुनंदा मोहुरले ने बताया कि महाराष्ट्र राज्य में इस तरह का आयोजन राज्य शासन के दिशा निर्देश पर प्रति वर्ष आयोजित होता है । वहाँ सृष्टि संस्था (गडचिरोली)ने इस दिशा में बेहतरीन कार्य किया है । इस छत्तीसगढ़ राज्य में यह पहला गांव निगंनचुवा है जो अनिवार्य महिला ग्राम सभा आयोजन के दिशा में प्रथम पहल किया है ।