विस्थापित दुकानदारों ने नपं अध्यक्ष के खिलाफ खोला मोर्चा
राजनांदगांव(दावा)। नगर पंचायत छुरिया में इन दिनों मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के तहत बनी 100 दुकानों का नगर पंचायत अध्यक्ष द्वारा बंदरबाट किये जाने का मामला गरमाया हुआ है। इस मामले को लेकर उक्त स्वावलंबन योजना की दुकानें बनने से पहले वहां काबिज रहे दुकानदार जो अब विस्थापित हो चुके हैं, ने नगर पंचायत अध्यक्ष श्रीमती राजकुमारी सिन्हा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। लगभग 72 की संख्या में विस्थापित हुए दुकानदारों ने आज प्रेस वार्ता में बताया कि नगर पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सिन्हा द्वारा उन विस्थापित दुकानदारों को उक्त स्वालम्बन योजना की बनी 100 दुकानों में प्राथमिकता दिये जाने के बजाए अपने पार्षदों व एल्डरमेनों को उक्त दुकानें मुहैया कराई गई हैं, जिससे उन 72 विस्थापित दुकानदारों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है। अपनी व्यवसाय के अभाव में घर-परिवार चलाना मुश्किल जा रहा है।
डेढ़ लाख लिए जाने का आरोप
पत्रकार वार्ता ले रहे नगर पंचायत छुरिया के निवासी गोपेन्द्र राम शिन्दे व इन विस्थापित दुकानदारों के अध्यक्ष संतोष मालेकर ने नगर पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सिन्हा पर आरोप लगाया कि एक बाहरी दुकानदार संतोष कुंभकार को डेढ़ लाख रूपये लेकर स्वावलंबन योजना की एक दुकान उपलब्ध कराई है। प्रेसवार्ता में पहुंचे उक्त दुकानदार संतोष ने बताया कि श्रीमती सिन्हा द्वारा उक्त दुकान का एग्रीमेन्ट कागज दूंगी कहकर उनसे डेढ़ लाख रूपये लिए जिसे उसने अपने घर की सोने-चांदी के जेवरात बेचकर दिये है।
विस्थापित दुकानदारों ने बताया कि इस संबंध में खुज्जी विधायक श्रीमती छन्नी साहू द्वारा न्याय का पक्ष लेते हुए उन विस्थापित दुकानदारों को स्वावलंबन योजना की दुकानें पहले आबंटन की बात कहे जाने पर भी अध्यक्ष श्रीमती सिन्हा द्वारा ध्यान नहीं दिया गया। उन लोगों का कहना है कि श्रीमती सिन्हा उन ग्रामीण अंचल के विस्थापित दुकानदारों को बाहरी बताकर उनके साथ भेदभाव कर रही है। श्रीमती सिन्हा ने उन पहले से काबिज रहे दुकानदारों को दुकान देने के बजाए रातों-रात अपने चहेतों को उक्त दुकानों की चाबी सौंप दी। दुकानदारों का कहना है कि यह चाबी नगर पंचायत अध्यक्ष के पास कैसे पहुंची और उन्होंने बगैर किसी विज्ञापन व दावा आपत्ति के कैसे अपने चहेतों में बांट दिया। उन्होंने अपने मन चाहे छुरिया के 45 लोगों का नाम निकालकर 53 लोगों को स्वावलंबन योजना की दुकान सौपी और शेष 47 दुकानें अपने घर में बुलाकर अपने लोगों में बंदरबाट की। प्रेसवार्ता में बड़ी संख्या में पहुंचे विस्थापित दुकानदारों ने कहा कि यदि उन्हें वरीयता सूची के आधार पर स्वावलंबन योजना की दुकानें उपलब्ध नहीं कराई गई तो वे अपने घर परिवार वालों के लिए साथ कलेक्टर के सामने आत्मदाह करने मजबूर होंगे।