आश्रय स्थल पर अधिकार को लेकर मेडिकल कॉलेज व निगम आमने सामने
राजनांदगांव(दावा)। मेडिकल कालेज हास्पिटल परिसर में केंटीन खोले जाने का मामला इन दिनों गरमाया हुआ है। मेडिकल कालेज प्रशासन निगम द्वारा मरीजों के परिजनों के रूकने के लिए बनाए गये आश्रय स्थल (रैनबसेरा) को हास्पिटल परिसर में स्थित होने का मानकर उक्त स्थल में केंटीन संचालन के लिए निविदा जारी किये हुए है, वही निगम प्रशासन अधोसंरचना मद के अंतर्गत निर्मित आश्रय स्थल में पहले से ही केंटीन संचालन के लिए दीदी स्व-सहायता समूह को दे दिया है। इस पर जिला मेडिकल कालेज के सदस्य व कांग्रेस नेता अशोक फडनवीश ने आपत्ति व्यक्त की है तथा स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव को पत्र लिख कर जांच की मांग की है।
निगम को भेजा गया नोटिस
मेडिकल कालेज हास्पिटल परिसर में अस्पताल प्रबंधन द्वारा केंटीन खोले जाने की योजना खटाई में पड़ते देख नगर निगम को नोटिस भेजा गया है। जिसके जवाब में अब नगर निगम द्वारा भी मेडिकल कालेज हास्पिटल प्रबंधन को नोटिस भेजने वाला है। बता दे कि अस्पताल परिसर में केंटीन खोले जाने का मुद्दा गरमाते ही इस संबंध में सोमवार को मेडिकल कालेज की खाद्य समिति की बैठक हुई। बैठक में शामिल सुपरिटेंडेन एवं अन्य पदाधिकारियों ने आश्रय स्थल में बिना टेंडर केंटीन संचालन को गलत माना है तथा इस संबंध में निगम प्रशासन को नोटिस जारी किया है।
नोटिस के जवाब में नोटिस
मेडिकल हास्पिटल से फर्लांग भर दूर निगम द्वारा बनाए गये आश्रय स्थल में केंटीन संचालन हेतु एक महिला समूह को दिये जाने को पूरी तरह कानून सम्मत व सही मानते हुए निगम के कार्यपालन अभियंता यू.के. रामटेके ने बताया कि निगम द्वारा निर्मित आश्रय स्थल में मेडिकल कालेज का कोई हक नहीं है। तब प्रबंधन उसके लिए केंटीन संचालन हेतु निविदा जारी कैसे कर सकता है। यह पूरी तरह गलत है। इस लिए अस्पताल प्रबंधन को नोटिस भेजा जाएगा। जिसका जवाब उन्हें देना होगा।
बता दे कि मेडिकल कालेज हास्पिटल से दूर स्थित आश्रय स्थल को हास्पिटल में भर्ती मरीजों के परिजनों की सुविधा के लिए अधोसंरचना मद के अंतर्गत बनाया गया है। जिसके संचालन के लिए निगम द्वारा प्रक्रिया कर दिनांक 7 जनवरी 2021 को रूचि की अभिव्यक्ति स्व-सहायता समूह व क्षेत्र संगठन से निविदा आमंत्रित की गई थी जिसमें दीदी स्व-सहायता समूह का चयन कर कार्य सौपा जाना प्रस्तावित था किन्तु कोरोना के चलते उक्त स्थल को कुछ समय के लिए महापौर कोविड केयर के रूप में तब्दील किया गया था। कोरोना की आपात स्थिति खत्म होते ही उसे फिर से आश्रय स्थल के रूप में काम लेकर केंटीन संचालन हेतु चयनित समूह को सौंपा गया है। अत: उक्त आश्रय स्थल में नगर निगम का हक है। इसलिए उसे केंटीन संचालन के लिए चयनित समूह को देने का अधिकार है। कार्यपालना अभियंता श्री रामटेके ने बताया कि उक्त हेतु निगम से अखबारों के लिए इस्तहार भी जारी किया गया था। अत: मेडिकल कालेज का उक्त स्थल पर हक जताना निराधार है।
इधर पूर्व कांग्रेस पार्षद अशोक फडनवीश का कहना है कि मेडिकल कालेज परिसर की समस्त सम्पत्ति कालेज की है। उसकी अनुमति के बिना कोई भी कार्य नहीं किया जा सकता। आश्रय स्थल को व्यावसायिक परिसर में तब्दील नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि निगम ने निर्माण के पूर्व आश्रय स्थल के लिए ही शासन को अवगत कराया है जिसके चलते शासन ने उक्त हेतु राशि आबंटित की है। बहरहाल मेडिकल कालेज का उक्त आश्रय स्थल कांग्रेस के टीएस सिंहदेव व सीएम भूपेश बघेल गुट की रस्साकसी में फंस गया है। उक्त स्थल में केंटीन संचालन को लेकर निगम व मेडिकल कालेज प्रबंधन में तलवारें खींच गई है। देखना यह है कि मामले का ऊंट किस करवट बैठता है।
मेडिकल कालेज की 52 एकड़ जमीन में निगम बगैर जानकारी दिये कैसे घुस गया? आश्रय स्थल कालेज के बाउंड्रीवाल के अन्दर है। उसमें केंटीन संचालन के लिए न तो डीन से अनुमति ली गई है और न प्रबंधन को किसी प्रकार सूचना दी गई है। अत: उक्त कार्य नियमत: गलत है।
डॉ. प्रदीप बैक, अधीक्षक, मेडिकल कालेज हास्पिटल पेंड्री, राजनांदगांव