आखिर कब सुधरेगी शहर की यातायात व्यवस्था, रोड में चलने की जगह नहीं, अधिकारियों को कार्यवाही के लिए नहीं है फुर्सत
डोंगरगांव (दावा)। नगर में बदहाल यातायात व्यवस्था की भेंट आखिर कब तक राहगीर चढ़ते रहेंगे. शहर से गुजरने वाले स्टेट हाईवे में शहर के बीच काफी व्यस्त और यातायात का भारी दबाव होता है. ऐसे में राहगीर जैसे तैसे बचते बचाते अपनी मंजिल तक पहुंचने को मजबूर हैं. इधर बदहाल यातायात व्यवस्था के लिए स्थानीय प्रशासन व पुलिस के द्वारा कभी भी कोई कदम नहीं उठाया जाता और कभी कभार नये अधिकारी के आने पर समझाईश तक ही मामला सीमित रहता है. इस मामले में लगातार खबरों के प्रकाशन पर शिकायतों के बाद भी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की कुंभकरणीय नींद नहीं खुली है. विगत दिनों आईपीएस की समझाइश पर एक-दो दिनों के लिए सडक़ खाली हुई थी. उसके बाद पूरा मार्ग पुन: उसी स्थिति में आ गया है।
ज्ञात हो कि 26 जुलाई मंगलवार की शाम 7 बजे एक और बुजुर्ग इस बदहाल यातायात व्यवस्था के कारण सडक़ हादसे का शिकार हो गए. गनीमत यह रही कि बुजुर्ग ने स्वयं को संभाल लिया और इस हादसे में कोई गंभीर चोट नहीं आई. स्थिति यह थी कि वे यात्री बस की चपेट में आते आते बचे. बता दें कि इस एक्सीडेंटल जोन में आए दिन कोई न कोई सडक़ दुर्घटनाएं होती ही रहती है. बावजूद इसके शहर के यातायात व्यवस्था को सुधारा नहीं जा सका है. विकास की बड़ी बड़ी बातें करने वाले जनप्रतिनिधिगण भी इस अव्यवस्था से अंजान नहीं हैं किन्तु अब तक इस मामले में किसी ने भी सुध नहीं लिया है.
बहरहाल घायल बुजुर्ग के परिजनों ने जागीरदार बस ड्राइवर के खिलाफ डोंगरगांव थाने में एफ.आई.आर. दर्ज कराई है और इस मामले में पुलिस ने आईपीसी की धारा 279 व 337 के तहत मामला पंजीकृत कर विवेचना में लिया गया है. वहीं परिजन बदहाल यातायात व्यवस्था की शिकायत कलेक्टर तब से करने की बात कह रहे हैं.
सडक़ के फुटपाथ में वाहन पार्किंग व दुकानदारी, पैदल और साइकिल सवार चलेंगे कहां?
शहर के पुराने बस स्टैंड से लेकर कॉलेज रोड तक बेतरतीब वाहनों की पार्किंग और दुकानदारी के चलते रोड में चलने की जगह नहीं होती और अक्सर हादसे होते हैं. शहर के व्यस्ततम इलाके में बने फुटपाथ में या तो पार्किंग हो रही है या दुकानदारी. ज्ञात हो कि नगर पंचायत व्दारा राजीव गांधी चौक से लेकर कोचर घर तक 6 लाख रुपए की लागत से पाथवे का निर्माण कराया गया था किंतु यह पाथवे लोगों के चलने के काम नहीं आ रहा है बल्कि वाहनों की पार्किंग और दुकानदारी में खत्म हो चुका है. फुटपाथ बनाने का कारण स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में भारी यातायात दबाव महसूस की जा रही थी, इसी को कम करने के लिए पाथवे का निर्माण कराया गया था किंतु वर्तमान में स्थिति कुछ और है.
कब जागेगा शासन-प्रशासन व पुलिस ?
आए दिन हो रहे सडक़ हादसे को लेकर भी शासन प्रशासन ने कोई गंभीरता फिलहाल नहीं दिखाई है. आखिर यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए शासन-प्रशासन व पुलिस की नींद कब खुलेगी आम जनता हादसे का शिकार होती है. ज्यादा से ज्यादा पुलिस मौके तक पहुंचती है और उसके बाद पुन: वहीं ढाक के तीन पात. यही स्थिति यदि किसी रसूखदार जनप्रतिनिधि या उच्च अधिकारियों के साथ होती तो क्या यही स्थिति हमेशा बनी रहती?