बीती रात बागोड़ में एक भालू ग्रामीण के घर की खिड़की तोड़कर अंदर घुस गया। रसोई में तेल और खाद्य सामाग्रियों को चट कर गया। दहशत के चलते आसपास के लोगों को मदद के लिए चुपके से ग्रामीण ने बुला लिया। पीएससी को सीसा तोड़ डाला।
रायपुर
कांकेर। ग्राम बागोड़ निवासी अभिराम कोर्राम ने बताया कि बीती आधी रात एक भालू उसके घर की खिड़की तोड़कर घुस गया। रसोई कमरे में जाकर जमकर उत्पात मचाया और तेल, शक्कर, गुड़ खा गया। उस समय वह पास के दूसरे कमरे में अकेला सो रहा था। डर के कारण भालू का सामना करने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था। आधी रात को पड़ोसियों को जगाया तो आने के बाद भालू को घर से बाहर भगाया गया।
ग्रामीण ने बताया कि भालू के घर में घुस जाने से वह दहशत में हैं। गनीमत रही कि वह जिस कमरे में सोया था वहां पर नहीं पहुंचा। अन्यथा बड़ी घटना हो सकती थी। ग्रामीण महेश साहू ने बताया कि शुक्रवार की रात में एक भालू उसके घर का दरवाजा तोड़कर घर के अंदर घुस गया और जमकर उत्पात मचाया। भालू तेल, शक्कर, गुड़ खा गया है। खाद्य सामाग्रियों को चट कर भाग गया। ग्राम के अन्य ग्रामीणों ने बताया कि भालू हर रोज गांव में आता है। किसी न किसी के घर का दरवाजा और खिड़की तोड़कर खाद्य सामाग्री चट कर फरार हो जाता है। रात होते ही गांव में भालू के आने से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। वन विभाग को सूचना देने के बाद भी भालुओं को भगाने कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।
अमोड़ा के स्वास्थ्य केन्द्र में पहुंचा भालू
बीती रात एक भालू खाने पीने की लालच में अमोड़ा स्वास्थ्य केन्द्र पहुंच गया। भालू के आने से वहां पर अफरा तफरी मच गई। स्टॉक रूम का सीसा भालू तोड़कर जमकर उत्पात मचाया है। भालू के आहट से वहां पर मौजूद कर्मचारी दहशत में आ गए। हालांकि भालू ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है। तोड़ फोड़ कर अपने रास्ते चला गया, लेकिन इस तरह से जंगली जानवर खुलेआम घुमना मानव के लिए खतरा बना है। इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं किए जाने से लोगों में दहशत का माहौल बना है।
नरहरपुर वन परिक्षेत्र के ग्राम बागोड़, बाबुसाल्हेटोला, मरकाटोला, लारगांव, चंवाड़ में भी रोज रात में भालुओं का आतंक है। भालुओं के आतंक से ग्रामीण दहशत में रात गुजार रहे हैं। शाम होने के बाद गांवों में सन्नाटा फैल जाता है। रात में घर से बाहर निकलने पर डंडा व टार्च लेकर जाना पड़ता है। दो दिन पहले भालू ने चंवाड़ के एक ग्रामीण पर हमला कर दिया था। जिसे प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ग्रामीणों ने बताया कि भालू के खाने पीने के लिए वन विभाग यदि कोई व्यवस्था करता तो भालू गांव तरफ नहीं आते। इन भालुओं से ग्रामीणों को अधिक खतरा बढ़ गया है।