आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति की संगति का उसके जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। यदि आपके आसपास अच्छे विचारों वाले और बुद्धिमान लोग मौजूद होते हैं तो इससे आपको जीवन में लक्ष्य और सफलता प्राप्ति में बहुत मदद मिलती है। वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनसे आपकी नजदीकियां आप पर ही भारी पड़ सकती हैं…
आचार्य चाणक्य की नीतियां व्यक्ति को जीवन में सही और गलत का फर्क समझाती हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति के आसपास मौजूद लोगों की छाप उसके जीवन और कार्यों पर भी नजर आती है। यानी कि अच्छे लोगों की संगति बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है जो आपको उनके गुणों के आधार पर प्रेरित करके जीवन में तरक्की हासिल करने में मदद करते हैं। जीवन में किसी बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आपकी खुद की मेहनत, धैर्य, सूझबूझ तो काम आती ही है। इसके अलावा अगर आपको बुद्धिमानी और सकारात्मक सोच वाले लोगों का साथ मिल जाए तो ये आपकी मंजिल को और आसान बना सकता है। वहीं अवगुणों से युक्त और नकारात्मक विचारों वाले लोगों के बीच रहने से आप मुश्किल में पड़ सकते हैं। तो आइए जानते हैं कि आचार्य चाणक्य के अनुसार किन लोगों से नजदीकियां बढ़ाना सही नहीं है…
आचार्य चाणक्य का कहना है कि चरित्रहीन लोगों का पालन-पोषण करना, मूर्ख लोगों को सीख या उपदेश देना और ऐसा इंसान जो हमेशा ही दुखी रहता हो तो ये सभी आपके जीवन में तरक्की में कई बाधाएं उत्पन्न कर सकते हैं। इसलिए आपको सदैव इन लोगों से दूर रहना चाहिए।
इसके अलावा चाणक्य नीति में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि आपको अगर जीवन में आगे बढ़ना है और तरक्की हासिल करनी है तो ध्यान रखें कि कभी ऐसे लोगों को सलाह नहीं देनी चाहिए जो आपकी बातों को समझना तो दूर उस पर गौर भी न करता हो। वहीं उन लोगों की मदद न करें जिनका आचरण बुरा हो क्योंकि इन्हें समझाने से आपका ही समय बर्बाद होता है।
आचार्य चाणक्य का मानना है कि जीवन में लक्ष्य प्राप्ति के लिए इंसान के अंदर ऊर्जा, उत्साह व सकारात्मकता का होना ये तीनों गुण बहुत मदद करते हैं। लेकिन अगर आप हमेशा दुखी रहने वाले व्यक्ति की संगति में रहते हैं तो आपके भीतर भी नकारात्मकता भर जाती है, इसलिए ऐसे लोगों से दूर रहना ही बेहतर है।