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छत्तीसगढ़ में और महंगी हो सकती है बिजली

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केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि केंद्र सरकार के एजेंडे में सेवा नहीं है। आम आदमी की परेशानियों से इनको कोई मतलब नहीं है। कोयला ढो रहे हैं, जिससे केंद्र को फायदा हो रहा है। लेकिन सैकड़ों पैसेंजर ट्रेन बंद करने के बाद भी कोयला नहीं मिल रहा है।

छत्तीसगढ़ के उपभोक्ताओं को एक बार फिर बढ़ी बिजली दर का झटका लग सकता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को रायगढ़ दौरे से लौटने के बाद इस बात के संकेत दिए हैं। इसका सबसे बड़ा कारण विदेशों से कोयला आयात करना है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि अभी और तैयार रहिए। विदेशी कोयला का पूरी तरह जब इफेक्ट आएगा तो बिजली का बिल और बढ़ जाएगा।

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मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा, सैकड़ों यात्री ट्रेनों को बंद करने के बाद भी कोयला उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। जितनी इस देश में खदान है वह पूर्ति नहीं कर पा रही है। इसके कारण से केंद्र सरकार विदेशों से कोयला मंगवा रही है। 3-4 हजार का कोयला यदि 15 हजार रुपए प्रति टन के हिसाब से मिलेगा, तो उत्पादन लागत बढ़ेगी। जब उत्पादन लागत बढ़ेगा तो बिजली के भाव बढ़ना ही बढ़ना है। मुख्यमंत्री ने पूछा,एनटीपीसी के जितने भी पावर प्लांट हैं वे बिजली दर बढ़ाएंगे तो राज्य में बिजली की कीमत नहीं बढ़ेगी? गौरतलब है कि दो दिन पहले ही प्रदेश में बिजली 30 पैसे प्रति यूनिट तक महंगी हुई है। यह दर वीसीए (वेरिएबल कास्ट एडजस्टमेंट) चार्ज में बढ़ाई गई है।

छत्तीसगढ़ में पैसेंजर ट्रेन के लगातार बंद होते जाने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार को इससे कोई लेना-देना नहीं कि आम जनता को क्या परेशानी हो रही है। ये लगातार ऐसे निर्णय ले रहे हैं, जिससे आम जनता परेशान हो। जब से रेल यातायात शुरू हुआ है तब से सरकार ने कभी रेल बंद नहीं किया है। आंदोलन के चलते बंद हो जाए या मरम्मत के लिए एक-दो दिन के लिए बंद हो जाए तो अलग है। महीनों-महीने तक के लिए सैकड़ों ट्रेनों को बंद कर दिया जाए ऐसा कभी नहीं हुआ। गरीब लोग, मध्यम श्रेणी के लोग जिससे सफर करते हों उसे बंद कर दिया। उनकी परेशानी से इनको कोई लेना-देना नहीं।

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