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इंजीनियरिंग करने छात्रों में रूचि नहीं, सीटें खाली

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राजनांदगांव(दावा)। पिछले कुछ वर्षों से इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए छात्रों में रूचि नहीं रह गई है। आलम यह है कि इंजीनियरिंग की सीटें खाली पड़ी हुई है। एक मायनों में देखा जाए तो शहर में इंजीनियरिंग कॉलेज अपनी दुर्दशा के दौर से गुजर रहा है। इन कॉलेजों में इंजीनियरिंग के पढ़ाई करने वाले छात्रों का टोटा पड़े होने से इन्हें बंद कर दिये जाने की नौबत आ रही है।

कॉलेजों ने प्रवेश से हाथ खींचा… छात्रों के अभाव में बंद हो सकता है कॉलेज
बता दे कि जिले में तीन की संख्या में इंजीनियरिंग कॉलेज है जिनमें लगभग ३०० सीटें है, किंतु छात्रों का इस विषय की ओर रूचि नहीं होने के कारण इन कॉलेजों में प्रवेश के लिए थोड़ी भी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है। स्थिति यह है कि इन इंजीनियरिंग कॉलेजों की पहली काउंसलिंग में मात्र १५ छात्रों का ही एडमिशन हो पाया। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए छात्र नहीं मिलने के कारण इन निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों को बंद करने की नौबत आ रही है।
अब देखना यह है कि कल ६ अक्टूबर गुरूवार से प्रारंभ होने वाली दूसरी काउंसलिंग में छात्रों मानसिकता क्या बनती है। बताया जाता है कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए दूसरी काउंसलिंग कल ६ अक्टूबर से शुरू होगी। वर्तमान स्थिति में नहीं लगता कि इंजीनियरिंग की ३०० सीटें भर पायेगी, ऐसे हालात मेंं निजी इंजीनियरिंग कॉलेज चलाने वालों के लिए चुनौती साबित हो सकता है।
प्रवेश लेने से हाथ खीचें कॉलेज
१२वीं के बाद छात्रों को अपने मन माफिक विषय लेने की आजादी रहती है। इस आजादी के साथ उन्हें अपने कैरियर की ओर भी ध्यान रखना पड़ता है जो उनके लिए भविष्य में घाटे का सौदा न हो, लिहाजा छात्र इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपना भविष्य न देखते हुए इस ओर रूचि दिखाने की जहमत नहीं उठा रहे है। सूत्रों की माने तों एैसे हालात के चलते शहर के दो इंजीनियरिंग कॉलेज बंद होने की कगार पर पहुंच गये है।
मिली जानकारी के अनुसार शहर में संचालित तीन इंजीनियरिंग कॉलेजों में से दो इंजीनियरिंग कॉलेज ऐसे है, जिन्होंने प्रथम वर्ष में प्रवेश देने से हाथ खड़े कर दिए है। ऐसे हालात निश्चय ही उक्त क्षेत्र के लिए चिंता पैदा करने वाला है।
छात्रों की रूचि नहीं
बताते चले कि शहर में सीआईटी के अलावा युगांतर व अशोका इंजीनियरिंग कॉलेज संचालित हो रहे है। इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला लेने के लिए काउंसलिंग की पहली प्रक्रिया भी पूर्ण कर ली गई है। बताया जाता है कि काउंसलिंग में छात्रों ने रूचि नहीं दिखाई, स्थिति यह है कि पहली काउंसलिंग में मात्र १५ छात्रों का चयन हो पाया है। ऐसी स्थिति में काउंसलिंग के बाद २८५ सीटें रिक्त रह गई है। ऐसे हालात में निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों के अस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो गया है। छात्रों के इंजीनियरिंग की पढ़ाई में रूचि नहीं लेने से उक्त कॉलेज बंद किए जाने की स्थित में पहुंच गई है। हो सकता है छात्रों के अभाव में इन्हें पूरी तरह बंद करना पड़े, बहरहाल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की ओर छात्रों की रूचि नहीं होने के कारण इन कॉलेजों को चलाना संचालकों के चुनौती पूर्ण बना हुआ है।

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