राजनांदगांव(दावा)। प्रदेश में आदिवासियों को 32 प्रतिशत आरक्षण की मांग के लिए अब सर्व आदिवासी समाज ने मोर्चा खोल दिया है। आज 10 अक्टूबर सोमवार को समाज द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार के विरोध में सभी विकास खंडो में जन आक्रोश रैली निकाली जाएगी। तथा राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौपा जाएगा।
इस संबंध में सर्व आदिवासी समाज द्वारा पत्रकार वार्ता लिया गया। जिसमें समाज के सुदेश टीकम सहित अन्य सामाजिक जनों ने बताया कि आदिवासी बहुल प्रांत छत्तीसगढ़ में प्रदेश के हाईकोर्ट के फैसले से यहां के 32 प्रतिशत आदिवासी समाज को संविधान में प्रदत्त उनके हक व अधिकार छिन गया है। आदिवासी समाज के 32 विधायक व 4 सांसद होने के बावजूद आदिवासियों के 32 प्रतिशत आरक्षण समाप्ति के कगार पर है। यहां तक कि आदिवासी राज्य सभा सांसद होने के बाद भी यहां के जनप्रतिनिधियों की गहरी निद्रा टूटी नहीं है। आदिवासियों की ओर से यहां की सरकार आंखे मुंदे हुए है।
सुदेश टीकम ने यहां तक कहा कि हाईकोर्ट के उक्त फैसले के स्थायी हल के लिए प्रदेश की सरकार अभी तक कोई ठोस पहल नहीं कर पाई है। इससे आदिवासी समाज ठगा सा महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि उक्त अधिकार के वंचित होने से जन प्रतिनिधि सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, जनपद अध्यक्ष, सरपंच, पंच, सहकारी समिति, वन समिति, तेन्दूपत्ता समिति, महापौर, पार्षद, जनजाति आयोग जैसे प्रतिष्ठान और शासकीय संस्थाएं प्रभावित होगी। इसके अलावा शिक्षा शैक्षणिक संस्थए एवं आईआईटी व एनटीआई मेडिकल, लॉ युनिवर्सिटी, आईआईएम एवं नई भर्तियों पर दीर्घ कालिक प्रभाव पड़ेगा। हाईकोर्ट के उक्त फैसले से अब ऐसा लगने लगा है कि आदिवासियों को आरक्षण रूपी बैसाखी का सुरक्षा कवच लगभग समाप्ति के कगार पर पहुंच चुका है। प्रेसवार्ता में कहा गया कि प्रदेश के राजनीतिक जन जनप्रतिनिधियों का इस दिशा में जागरूक न होना व एक खास दायरे में सिमट कर रह जाने से इसका खामियाजा बस्तर, बस्तर, सरगुजा सहित आम आदिवासी जनता का उठाना पड़ रहा है। समाज के लोगों द्वारा अपने साथ हो रहे आरक्षण के अन्याय के प्रति सजग होने के लिए आदिवासियों को -निकलो… जंगलों एवं पहाड़ों से… जंग लड़ो समाज के गददारों से… का आहवान करते हुए कहा गया कि न मरेंगे… न मिटेंगे… हम सब मिलकर एक नया इतिहास लिखेंगे… जैसी बाते कही गई।
प्रेस वार्ता में कहा गया कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में आदिवासियों को 2001 से ही जनसंख्या के अनुरूप 32 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए था लेकिन नहीं मिला जबकि केन्द्र के डीओपीटी द्वारा 5 जुलाई 2007 को जारी निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को जनसंख्या के अनुरूप 32 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इसके बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासियों को उनका आरक्षण का हक नहीं दे पाई। बाद में धरना प्रदर्शन, आंदोलन, घेराव आदि किये जाने के बाद 2012 में आरक्षण अध्यादेश के द्वारा 32 प्रतिशत आरक्षण दिया गया जिसका बैकलाग आज तक नहीं भर गया इससे समाज में प्रदेश सरकार के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है जिसका प्रदर्शन आज 10 अक्टूबर को विकासखंड स्तरीय जन आक्रोश रैली निकाल कर महाबंद किया जाएगा। सर्व आदिवासी समाज आज महाबंद के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार के विरोध में रैली के माध्यम से आक्रोश जाहिर करने सडक़ पर उतरेंगे।