राजनांदगांव(दावा)। मानसून की बिदाई कब की हो चुकी है। इसके बाद भी बारिश पानी का जंजाल कटा नहीं है। किसान इससे परेशान नजर आ रहे है। आए दिन आसमान में काले बादलों का छा जाना… गरज-घुमड़ कर बारिश हो जाना.. कभी-कभी हल्की बारिश की स्थिति निर्मित होना या फिर कुछ देर के लिए तेज बारिश हो जाना… पखवाड़े भर से इस तरह का माहौल बनी रहने से खेती-किसानी की नुकसानी तो हो ही रही है त्यौहारी तैयारियों पर भी असर पड़ रही है। साल भर में आने वाला दीपावली त्यौहार में घर-की साफ सफाई रंगाई-पोताई से लेकर मरम्मत कार्य किये जाते है। बाजार हाट की खरीदी की जाती है। लेकिन बारिश के चलते सभी कार्य प्रभावित हो रहे है। इस बेमौसम की बारिश से खेत में खड़ी-खरीफ को नुकसान होना स्वाभाविक है। धान के पौधे बारिश की मार से जमीन में लेट गये है। सब्जी फसलों में ऐसी बारिश से गलन की स्थिति बन आ रही है। क्वांर माह के अंतिम व कार्तिक मास की शुरूआत में ऐसी बारिश होना सोयाबीन फसलों का बटांधार करने वाली साबित हो रही है। भर्रेगांव क्षेत्र के ग्राम पार्रीखुर्द निवासी मनोहर साहू ने बताया कि रह-रहकर हो रही बारिश से खेत गिला है। कुतुलबोड, भाठागांव के किसान आनंदराम ने बताया कि खेतों के सूखने तक हरूना धान की कटाई शुरू नहीं हो सकेगी।
बता दे कि खरीफ फसल में जल्दी पकने वाला हरूना धान की कटाई दीपावली के पहले ही शुरू हो जाती है। जिसे मंडी में बेचकर किसान दिवाली त्यौहार मनाने के लिए पैसों का इंतजाम करते है लेकिन इस बार तो बेमौसम की बारिश होने की वजह से हरूना धान की कटाई को रोक देनी पड़ रही है। किसानों का कहना है कि बारिश के कारण गीले हुए खेतों के सूखने तक धान कटाई के लिए इंतजार करना होगा। मौसम को देखते हुए कृषि-उप संचालक जी.एस. ध्रुव ने किसानों को समझाईश दी है कि पक चुकी व पकने की स्थिति में धान की जो फसल है ऐसे खेतों में किसान बिल्कुल पानी न रखे। कटने लायक हो चुकी फसल को काटकर सुरक्षित स्थान पर ले जाना जरूरी है।
सब्जी फसल को नुकसान
क्वांर के महिने में एक ओर कड़ी धूप निकल रही है तो बारिश का साया भी बना हुआ है। ऐसी बारिश से सब्जी की फसल में गलन की स्थिति निर्मित हो रही है। इससे सब्जी उत्पादक किसान परेशान है। सबसे ज्यादा नुकसान टमाटर की फसल को पहुंच रहा है। टमाटर की फसल प्रभावित होने के चलते बाजार में इसकी आवक घट गई है जिसके कारण इसका भाव आसमान की ओर जा रहा है। बाजार मे इन दिनों टमाटर 50 से 60 रूपये किलो तक बिक रहा है।
बता दे कि सब्जी फसल को अगस्त माह के दौरान हुई तेज बारिश से काफी नुकसान पहुुंचा था। तब फसल पूरी तरह तबाह हो गई थी तब टमाटर का दाम 80 रूपये तक पहुंच गया था। हरी सब्जियां 40-50 रूपये किलो से कम नहीं थी। वर्तमान में भी बारिश के चलते कुछ इसी तरह की स्थिति निर्मित हो रही है, किसान इसे लेकर पशोपेश में है।
सोयाबीन को नुकसान
जिले में इस बार ओसत से अधिक बारिश हुई है जिले के ज्यादातर हिस्सो में अतिवृष्टि की स्थिति रही। इससे सबसे ज्यादा नुकसान सोयाबीन की फसल को हुआ है। बता दे कि धान के बाद सबसे ज्यादा जिले में सोयाबीन की फसल लगाई जाती है। इसका उत्पादन कम पानी में ही बेहतर होता है। लेकिन इस बार औसत से 45 प्रतिशत अधिक बारिश होने तथा क्वांर-कार्तिक माह में भी बैमौसम की बारिश होने से सोयाबीन की फसल को पूरी तरह तबाह कर दिया है। यही वजह है कि गंज मंडी में सोयाबीन की आवक नहीं दिख रही। इस बार लगातार बारिश का माहौल बनी रहने पर किसानों का कहना है कि सोयाबीन के उत्पादन में इससे न केवल कमी आ सकती है साथ ही इसकी क्वालिटी पर भी बूरा असर पड़ सकता है। कुल मिलाकर देखा जाए तो इस साल की औसत से अधिक की बारिश कही जाए या वर्तमान में जारी बैमौसम की बारिश से धान-फसल हो या सब्जी की फसल नुकसान तो पहुंचना ही है। सोयाबीन फसलों तो पूरी तरह तबाह हो ही गई समझो, लेकिन इस बेेमौसम बारिश से दीपावली की तैयारियों पर भी असर दिखने लगा है। बाजार पर भी इसका बूरा असर पड़ सकता है।