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डोमार सिंह कुंवर को पद्मश्री:राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से सम्मान लेते हुए आंखें हो गईं नम, कहा- तपस्या हो गई सफल

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बालोद जिले के लाटाबोड़ निवासी डोमार सिंह कुंवर को राष्ट्रपति भवन में आयोजित सम्मान समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री से सम्मानित किया। उन्होंने पुरस्कार लेने से पहले अतिथियों का अभिवादन किया। कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत दिग्गज नेता और विभिन्न क्षेत्रों के जाने-माने लोग मौजूद रहे।

पद्मश्री पुरस्कार मिलने के बाद डोमार सिंह कुंवर ने कहा कि इतने वर्षों की तपस्या सफल हो गई। यह मेरा नहीं, बल्कि पूरे बालोद और छत्तीसगढ़ वासियों का सम्मान है। उन्होंने कहा कि नाचा के लिए उन्हें ये सम्मान दिया गया है। मुझे संतुष्टि है कि मैं छत्तीसगढ़ के लिए कुछ कर पाया।

जानिए कब से जुड़े इस विधा से

डोमार सिंह ने बताया कि वे 12 साल की उम्र से नाचा की प्रस्तुति दे रहे हैं। उन्होंने कभी यह नहीं सोचा था कि उनकी मेहनत उन्हें पूरे देश में सम्मान दिलाएगी। राष्ट्रपति के हाथों से सम्मान लेते हुए उनकी आंखें नम हो गईं। उनकी इस उपलब्धि पर पूरा परिवार और समाज जश्न मना रहा है।

48 साल की मेहनत लाई रंग

पद्मश्री मिलने के बाद डोमार सिंह ने कहा कि उनकी 48 साल की मेहनत आज सफल हुई। उन्होंने अब तक लगभग 5200 मंचों पर नाचा की प्रस्तुति देकर लोगों को इस विधा के बारे में बताने का प्रयास किया, राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है।

टीवी, मोबाइल ने दुनिया को लिया अलग

पद्मश्री डोमार सिंह कुंवर ने बताया कि एक समय था, जब गांव में टीवी और मोबाइल नहीं हुआ करते थे। नाचा लोगों का मनपसंद कार्यक्रम हुआ करता था। इसकी लोकप्रियता इतनी थी कि पूरा परिवार, पूरा गांव एक मंच पर आकर पूरी रात इसका लुत्फ उठाया करता था, लेकिन आज मोबाइल और टीवी ने सबकुछ खत्म कर दिया है। परिवार के लोग अब एक साथ बैठते नहीं हैं, इसलिए नाचा जैसी विधाओं को पुनर्जीवित करना बहुत अनिवार्य है।

केवल मनोरंजन नहीं, संदेश भी

पद्मश्री डोमार सिंह ने बताया कि नाचा केवल मनोरंजन का माध्यम ही नहीं, बल्कि संदेश देने का जरिया भी है। उन्होंने कहा कि मैंने अपने हर मंचन में लोगों को समाज की बुराइयों को दूर करने के लिए प्रेरित किया। नशा और महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों पर हमने काम किया। समय बदलता गया, शासन की योजनाएं भी बदलती गईं, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत अभियान जैसी कई योजनाएं हैं, जिनमें हमने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और लोगों को इससे जोड़ने की कोशिश की।

जीता रहूंगा इसके लिए

उन्होंने बताया कि मैं नहीं चाहता कि मेरे जाने के बाद यह विधा समाप्त हो जाए। इसलिए अपने क्षेत्र के लोगों को इस विधा से जोड़ने का प्रयास कर रहा हूं। मैं युवाओं को नाचा सिखाता हूं, ताकि वे इसे जीवित रख सकें। इधर बालोद के जनपद पंचायत सदस्य हरीश चंद्र साहू ने बताया कि जब पद्मश्री डोमार सिंह कुंवर वापस दिल्ली से लौटकर आएंगे, तो उनके सम्मान में एक विशाल कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। बता दें कि पद्मश्री मिलने के ऐलान के बाद बीजेपी, कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दल और सामाजिक संस्थाओं के लोगों ने उन्हें उनके घर जाकर बधाई दी थी।

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