छत्तीसगढ़ में जल्द ही सरकारी पदों पर बंपर भर्तियां होने वाली है। प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों को इसे लेकर आदेश जारी कर दिया है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक भर्ती प्रक्रिया शुरू करने को कहा गया है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा छत्तीसगढ़ में 58 फीसदी आरक्षण पर लगी रोक हटाए जाने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाई लेवल मीटिंग लेकर प्रदेश में जल्द ही बड़े पैमाने पर सरकारी नौकरियों में भर्ती और प्रमोशन के निर्देश दिए थे। जिसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने ये आदेश जारी किया है।
2 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश में आरक्षण मामले की सुनवाई करते हुए 58 प्रतिशत आरक्षण को सही बताया था। हाईकोर्ट द्वारा 58 फीसदी आरक्षण पर लगी रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है। इसके बाद अब इसी आरक्षण रोस्टर के अनुसार प्रदेश में भर्तियां लेने का फैसला लिया गया है।
क्या है पूरा मामला
रमन सरकार के समय राज्य शासन ने आरक्षण नीति में बदलाव करते हुए 18 जनवरी 2012 को अधिसूचना जारी की थी, इसके तहत लोकसेवा (अजा, अजजा एवं पिछड़ा वर्ग का आरक्षण) अधिनियम 1994 की धारा-4 में संशोधन किया गया था। इसके अनुसार अजजा वर्ग को 32 फीसदी, अजा वर्ग को 12 फीसदी और पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया था।
बीते साल नवंबर में ही हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए 58 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगा दी थी। राज्य सरकार की ओर से मामला सुप्रीम कोर्ट में गया था। सुप्रीम कोर्ट का निर्देश इस मामले में बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि अब सरकारी पदों पर भर्ती और प्रमोशन 58 फीसदी आरक्षण के रोस्टर पर हो सकेगी।
76 प्रतिशत आरक्षण का मामला अटका
2 दिसंबर 2022 को प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक और शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक पारित हुआ है। इन दोनों विधेयकों में आदिवासी वर्ग-ST को 32%, अनुसूचित जाति-SC को 13% और अन्य पिछड़ा वर्ग-OBC को 27% आरक्षण का अनुपात तय हुआ है। सामान्य वर्ग के गरीबों को 4% आरक्षण देने का भी प्रस्ताव है। इसको मिलाकर छत्तीसगढ़ में 76% आरक्षण हो जाता, मगर ये विधेयक राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए अब तक अटका ही है।