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पीएम मोदी की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति हर संभावित खतरे से निपटने में होगी कारगर

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सुरक्षा रणनीति तैयार करने के लिए अलग-अलग एजेंसियों ने अपने इनपुट देने शुरू कर दिए हैं. वजह साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के मुताबिक भारत सरकार सभी पहलुओं को मजबूत कर राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध है. गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुआ राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन प्रधानमंत्री की नरेंद्र मोदी के विजन को पूरा करने में अहम कड़ी था. दरअसल राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में कटिंग एज अधिकारियों यानी जिन अधिकारियों ने अपने-अपने डिपार्टमेंट में बेहतरीन जांच की है और आरोपियों को सजा दिलवाई है उनका अहम योगदान रहेगा.

आतंकवाद हो, अपराध हो या फिर किसी भी अन्य तरीके का क्राइम भारत की सरजमीं पर अपराधियों के खिलाफ जंग लड़ रहे इन पुलिस अधिकारियों, जांच अधिकारियों, खुफिया अधिकारियों, सुरक्षा अधिकारियों और इसी विभाग के कर्मियों की अहम भूमिका होगी. इसीलिए इनसे भी संवाद किया जा रहा है और इनपुट लिया जा रहा है ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति किन-किन और तरीकों से बेहतर की जा सके. जिससे देश के हर पहलू की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित कर सके.

अहम बिंदु जिन पर लिया जा रहा है इनपुट
अपराध और आतंकवाद के अहम बिंदु जिन पर इनपुट लिया जा रहा है और भारतीय सुरक्षा रणनीति को तैयार किया जा रहा है वह हैं भारत में टेरर और नार्को फाइनेंसिंग संबंधित रुझान. जांच में फोरेंसिक का उपयोग, सामाजिक चुनौतियां, न्यूक्लियर व रेडियोलॉजिकल आपात स्थिति के लिए तैयारी तथा साइबर सिक्योरिटी फ्रेमवर्क, इकोनामिक फ्रॉड और क्रिप्टो करेंसी फ्रॉड प्रमुख हैं.

साइबर और छद्म युद्ध चुनौतियों को भी शामिल करना होगा
सीआरपीएफ के पूर्व डीजी और भारत सरकार के पूर्व आंतरिक सुरक्षा सचिव ए. पी. माहेश्वरी का भारतीय सुरक्षा रणनीति के बारे में कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में राष्ट्र के समक्ष वर्तमान के साथ-साथ उभरती वैचारिक, सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक, पर्यावरणीय, साइबर और छद्म युद्ध चुनौतियों को भी शामिल करना होगा. ऐसी वजह राष्ट्र के अस्तित्व संबंधी खतरे पैदा करने के लिए आपस में जुड़ी हुई हैं. इससे उन खतरों से निपटने के लिए पूर्वानुमान लगाने की क्षमताओं का निर्माण करने की आवश्यकता है. इसके प्रबंधन के लिए व्यापक रणनीति के निरंतर संशोधन की भी आवश्यकता होती है जिसमें विभिन्न हितधारक शामिल हों. सरकार, राजनीतिक दल, सुरक्षा एजेंसियां, नागरिक समाज, मीडिया और अन्य परिचालन संस्थाएं सभी की महत्वपूर्ण भूमिकाएं होंगी.”

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