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जम्मू कश्मीर में क्रांतिकारी बदलाव के जनक श्यामा प्रसाद मुखर्जी थे – जिला भाजपा

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राजनांदगांव । भाजपा कार्यालय में आज डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती उत्साह पूर्ण माहौल में मनाई गई। मीडिया सेल द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार जयंती में उनके तेलचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर सभी ने उन्हें याद किया, इस दौरान संगोष्ठी सभा का भी आयोजन किया गया। जिसमें प्रमुख वक्ता के रूप में प्रदेश प्रवक्ता नीलू शर्मा एवं किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष कोमल सिंह राजपूत ने कार्यकर्ताओं को बताया कि आज जमू कश्मीर में जो शांति की स्थिति है, इसका प्रमुख कारण धारा 370 का हटना है,

जिसके पीछे मुय पृष्ठभूमि के जनक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी थे। जिसके कारण ही भाजपा ने अपना ध्येय बनाया। संगोष्ठी सभा में वक्ताओं ने बताया कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को एक सय परिवार में हुआ था, महानता के सभी गुण उन्हें विरासत में मिले थे, उनके पिता आशुतोष बाबू याति प्राप्त शिक्षाविद थे, इसलिए उन्हें प्रारंभ से ही घर के उच्च संस्कार मिले। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 22 वर्ष की आयु में एम ए की परीक्षा उाीर्ण की, तथा इसी वर्ष उनका विवाह सुधा देवी से हुआ, वह 24 वर्ष की आयु में कोलकाता विश्वविद्यालय सीनेट के सदस्य बन गए। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कर्मभूमि के रूप में 1939 स राजनीति में भाग लिया और आजीवन इसी में लग रहे।

उन्होंने गांधी जी व कांग्रेस की उन नीतियों का विरोध किया जिसमें हिंदुओं को हानि उठानी पड़ी थी, एक बार उन्होंने कहा था वह दिन दूर नहीं जब गांधी जी की अहिंसावादी नीति के अंधाधुंध पालन के फलस्वरुप समूचा बंगाल पाकिस्तान का अधिकार क्षेत्र बन जाएगा। उन्होंने नेहरू और गांधी जी की तुष्टिकरण की नीति का सदैव खुलकर विरोध किया था।

अगस्त 1947 को स्वतंत्र भारत के प्रथम मंत्रिमंडल में एक गैर कांग्रेसी मंत्री के रूप में विा मंत्रालय का काम उन्होंने संभाला। 1950 में भारत की दशा दयनीय हो चुकी थी, इससे डॉ. मुखर्जी के मन को गहरा आघात पहुंचा था, उनसे देखा नहीं गया और भारत के अहिंसावादी नीति के बावजूद मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देकर संसद में विरोधी पक्ष की भूमिका का निर्वहन किया। एक ही देश में दो झंडे और दो निशान उनको स्वीकार नहीं थे, इसलिए उन्होंने जमू की प्रजा परिषद के साथ मिलकर आंदोलन छेड़ दिया।

अटल बिहारी वाजपेई, वेद गुरुदक्त, डॉ. बर्मन और टेकचंद आदि को लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 8 मई 1953 को जमू के लिए कूच किया, जहां पर उन्हें जमू कश्मीर सरकार द्वारा गिरतार कर लिया गया। जहां पर 23 जून 1953 को उनकी जेल में ही रहस्य में ढंग से मृत्यु हो गई। बंगाल भूमि में पैदा हुए डॉ. मुखर्जी ने अपनी प्रतिभा से समाज को चमत्कृत कर दिया था, बंगाल में जन्मे अनेक क्रांतिकारियों में महान विचारक एवं क्रांतिकारी श्यामा प्रसाद मुखर्जी को आज भी दुनिया याद रखती है। मीडिया सेल द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार आज दोपहर 3 बजे से भाजपा कार्यालय में आहुत संगोष्ठी में जिला महामंत्री राजेंद्र गोलछा ने भी डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी पर धारा प्रवाह उद्बोधन दिया, तत्पश्चात मंडल अध्यक्ष तरुण लहरवानी, अतुल रायजादा एवं अशोक आदित्य श्रीवास्तव मनोज साहू ने अपने विचार रखें। कार्यक्रम का सफल संचालन गोलू सूर्यवंशी ने किया एवं आभार प्रदर्शन ग्रामीण मंडल महामंत्री देव कुमारी साहू ने किया।

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