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कच्‍चा तेल बेचकर पहले जमकर कूटे पैसे, अब इस देश में पड़ गए लाले, इम्‍पोर्ट करने को हुआ मजबूर

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भारत सहित तमाम बड़े देश दशकों से कच्‍चे तेल पर अपनी निर्भरता को कम करने में लगे हुए हैं. इसके विकल्‍प के तौर पर बिजली, सीएनजी व अन्‍य रिन्यूएबल एनर्जी के सोत्रों पर फोकस किया जा रहा है. अरब देशों के पास कच्‍चे तेल का भंडार है. दुनिया भर के देशों की कच्‍चे तेल की जरूरत का एक बड़ा हिस्‍सा यहीं से पूरा होता है. एक देश ऐसा भी है जो मिडिल-ईस्‍ट का हिस्‍सा तो नहीं है लेकिन बीते चार-पांच दशकों में उसने कच्‍चे तेल का जमकर एक्‍सपोर्ट किया. ऐसा कर इस देश ने जमकर पैसे भी कमाए. अब आलम यह हो गया है देश के पास अपनी घरेलू आपूर्ति के लिए भी पर्याप्‍त कच्‍चा तेल नहीं बचा है. हम बात कर रहे हैं मेक्सिको की.

उत्‍तरी अमेरिकी देश मेक्सिको की आने वाली राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम को देश की ऊर्जा स्वतंत्रता के सपने को पूरा करने में एक नई चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. उनसे पहले की राष्‍ट्रपति ने घरेलू कच्चे तेल की आपूर्ति को पूरा करने के लिए एक नई रिफाइनरी पर 17 बिलियन डॉलर खर्च किए थे. मेक्सिको हमेशा से ही एक प्रमुख कच्चा तेल उत्पादक देश रहा है. यहां ज्यादातर तेल मेक्सिको की खाड़ी से मिलता है, जो बीते चार दशक से लगातार गिर रहा है.

मेक्सिको ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन का अहम हिस्‍सा…
मेक्सिको को नए तेल भंडारों की खोज की सख्‍त जरूरत है, जिसपर काफी खर्चा भी किया जाना है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो मेक्सिको के लिए तेल एक्‍सपोर्ट तो दूर की बात है, अगले दशक में अपनी विस्तारित रिफाइनरी क्षमताओं को पूरा करने के लिए कच्चे तेल का आयात करना पड़ सकता है. ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन का अहम हिस्‍सा रहे मेक्सिको के साथ अगर ऐसा होता है तो यह अनसुना बदलाव होगा.

सरकारी स्वामित्व वाली रिफाइनरी पेमेक्स स्थानीय ईंधन की मांग को पूरा करने में विफल रही है. इसकी पुरानी रिफाइनरियां भारी कच्चे तेल को संसाधित करने में असमर्थ थीं. ऐसे में मेक्सिको को कच्चे तेल का इम्‍‍पोर्ट करना पड़ा, जबकि उसे गैसोलीन और डीजल का आयात करना पड़ा. इनमें से अधिकांश संयुक्त राज्य अमेरिका से थे. जिसके बाद पिछले राष्‍ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज़ ओब्रेडोर ने आयातित मोटर ईंधन पर अपमानजनक निर्भरता को बदलने की कसम खाई. उन्होंने अपने गृह राज्य टैबास्को में 340,000 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) की नई रिफाइनरी शुरू की, ताकि पेमेक्स की छह रिफाइनरियों के कारण ईंधन आपूर्ति की कमी को पूरा किया जा सके, जो दशकों से क्षमता पर चलने के लिए पर्याप्त निवेश के बिना चल रही थीं.

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